Coronavirus Vaccine: Bharat Biotech, Moderna, Ad-nCov, AstraZeneca सहित ये वैक्सीन का जानिए अपडेट्स

कई देशो में लोगों को कोरोना वैक्सीन दिए जाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। आइए जानते हैं कि दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन को लेकर क्या-क्या अपडेट्स हैं…

Coronavirus Vaccine Updates: कोरोना वायरस (Coronavirus) का प्रकोप अब भी जारी है। कोरोना वायरस संक्रमण अब भी लगातार लोगों को अपनी चपेट में लेता जा रहा है।वहीं कई देशों में लोगों को जल्द ही कोरोना वैक्सीन आने की खुशखबरी भी मिलने वाली है। वही कई देशो में लोगों को कोरोना वैक्सीन दिए जाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। आइए जानते हैं कि दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन को लेकर क्या-क्या अपडेट्स हैं…

कोरोना वायरस की वैक्सीन :

Pfizer: अमेरिका की ड्रगमेकर कंपनी फाइजर ने हाल ही में भारत में अपने कोरोनावायरस वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मांग की है। इस वैक्सीन को दवा कंपनी फाइजर और बायोएनटेक मिलकर बना रही हैं। इसका फेज-3 का ट्रायल यूरोप और उत्तरी अमेरिका के विभिन्न शहरों में हो चुका है। ये वैक्सीन कोरोना वायरस पर 90 फीसदी सफल पाई गई है।

Ad-nCov: चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन ने Ad-nCov नामी वैक्सीन के इस्तेमाल की एक साल के लिए मंजूरी दी है। खबरों के मुताबिक, चीनी फौज को एक कोरोना वैक्सीन इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी गई है। ये वैक्सीन मिलिट्री रिसर्च यूनिट और कानसिनो बॉयलोजिक्स (CanSino Biologics) ने तैयार की है। पिछले दिनों कंपनी ने बताया कि ये वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के बाद सुरक्षित और बीमारी को रोकने की क्षमता रखती है। Ad-nCov नामी वैक्सीन चीन की 8 वैक्सीन में से एक है जिसकी चीन के अंदर और बाहर अन्य देशों में मानव परीक्षण के लिए इजाजत दी जा चुकी है।

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AstraZeneca: ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन का लंबे समय से दुनिया को इंतजार है। फाइजर के बाद सीरम इंस्टिट्यूट ने कोरोना वैक्सीन के इमरजेंसी ऑथोराइजेशन के लिए डीसीजीआई से अनुमति मांगी है। ऑक्सफ़ोर्ड और AstraZeneca की कोरोना वैक्सीन भारत में ट्रायल सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया कर रही है। इस वैक्सीन के बारे में यह कहा जा रहा है कि यह विकसित देशों में अमेरिकी वैक्सीन फाइजर और मॉडर्ना की तुलना में रख-रखाव में ना सिर्फ ज्यादा आसान होगा क्योंकि उतने कम तापमान पर इसे रखने की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि इसकी कीमत भी उसके मुकाबले गई गुणा कम होगी। ऑक्सफोर्ड ने वैक्सीन के तीसरे चरण के नतीजे भी बताए, जिसमें इसे 90 फीसदी तक कारगर बताया गया।

Moderna: मॉडर्ना कंपनी ने सबसे पहले मार्च में अपनी वैक्सीन का मानव परीक्षण शुरू किया था और नवंबर के शुरू में अंतिम चरण के शुरुआती नतीजों की जानकारी दी। उसमें कहा गया कि उसकी वैक्सीन कोविड-19 के खिलाफ सुरक्षा देने में 95 फीसद असरदार है। ये भी बताया गया कि जिन लोगों पर वैक्सीन का परीक्षण किया गया, उनमें से किसी में भी बीमारी के लक्षण नहीं देखे गए। अंतिम नतीजे के बाद कंपनी ने वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी के लिए अमेरिका और यूरोप में आवेदन और डेटा भी जमा करा दिया है। मॉडर्ना की वैक्सीन में फाइजर और जर्मन कंपनी बायोएनटेक की तरह एमआरएनए तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसके लिए वायरस के जेनेटिक कोड से मदद ली गई।

Bharat Biotech: फाइजर और सीरम इंस्टिट्यूट के बाद अब भारत बायोटेक ने स्वदेशी रूप से विकसित कोविड-19 के टीके ‘कोवैक्सीन’ का आपातकालीन इस्तेमाल करने के लिए डीसीजीआई से मंजूरी मांगी है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक, फाइजर, सीरम इंस्टीट्यूट, भारत बायोटेक द्वारा कोविड-19 टीके के आपात उपयोग की मंजूरी से संबंधित आवेदनों पर सीडीएससीओ बुधवार को विचार कर सकता है।

Sinopharm: चीनी कंपनी सिनोफार्म की प्रायोगिक कोविड-19 वैक्सीन बीमारी की रोकथाम में 86 फीसदी प्रभावी साबित हुई है। संयुक्त अरब अमीरात में चल रहे परीक्षण के अंतरिम विश्लेषण के हवाले से स्वास्थ्य और रोकथाम मंत्रालय ने आधिकारिक रजिस्ट्रेशन का ऐलान किया है। 86 फीसदी असरदार होने का खुलासा मानव परीक्षण के शुरुआती नतीजे सामने आने के बाद किया गया। कहा जा रहा है कि चीन, रूस, यूके, कनाडा, बहरीन, यूएई वगैरह में वैक्सीन के इमरजेंसी यूज़ को मंजूरी मिल भी चुकी है।

Sputnik V: ‘स्पूतनिक वी’ वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि ये वैक्सीन 95 प्रतिशत असरदार है। उनका कहना है कि इस वैक्सीन का कोई नेगेटिव इम्पैक्ट नहीं है। हालांकि इस वैक्सीन पर सामूहिक परीक्षण अभी भी जारी है। रूस का दावा है कि ये वैक्सीन दुनिया का पहला रजिस्टर्ड कोरोना वैक्सीन है जिसे सरकार ने अगस्त में ही मंजूरी दे दी थी।

रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के गमालिया इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी ने सलाह दी है कि स्पूतनिक वैक्सीन का हर डोज़ लेने के बाद कम से कम तीन दिन तक मंदिर सेवन न करें। संस्थान के निदेशक एलेक्जेंडर गिन्ट्सबर्ग ने कहा कि हम पूर्ण शराब पाबंदी की बात नहीं कर रहे। लेकिन एक नियंत्रित रोक आवश्यक है। यह केवल स्पूतनिक की नहीं किसी भी कोरोना वैक्सीन के लिए कारगर सलाह है।

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