When Sanjay Dutt felt he will be killed in police encounter: बॉलीवुड के सुपरस्टार संजय दत्त जिन्हें 1993 के मुंबई विस्फोटों के दौरान अवैध रूप से फायरआर्म्स रखने का दोषी ठहराया गया था, तो इस दौरान अभिनेता को काफी समय तक जेल में रहना पड़ा था। इसी बीच पूर्व आईपीएस अधिकारी मीरान चड्ढा बोरवंकर ने बताया की संजय दत्त का जेल में रहने का व्यवहार कैसा था?
मीरान ने हाल ही में साइरस ब्रोचा के पॉडकास्ट में संजय दत्त के व्यवहार के बारे में बताते हुए कहा कि, ‘’उन्होंने (संजय दत्त) अपने स्रोतों का उपयोग यह पता लगाने के लिए किया कि मैं पंजाब से हूं। उन्होंने मुझे थोड़ा प्रभावित करने की कोशिश। लेकिन मुख्य मुद्दा मीडिया का यह आरोप था कि हम उन्हें विशेष ट्रीटमेंट देते हैं, जो हमने नहीं दिया। और वह आम तौर पर अच्छे थे क्योंकि उनकी पैरोल और छुट्टी जेल में उनके व्यवहार पर निर्भर थी। अगर उन्होंने अच्छा व्यवहार नहीं किया होता तो हम उसे छुट्टी या पैरोल की अनुमति नहीं देते। काम भी करता था, बीड़ी और सिगरेट भी खरीदता था। कुल मिलाकर उसे यह एहसास हो गया था यहां पर उन्हें अच्छा व्यवहार करना है।’’
मीरान ने अपने बुक ‘मैडम कमिश्नर’ में संजय दत्त का एक किस्सा भी साझा किया है, जब संजय दत्त को लगा था कि पुलिस उनका एनकाउंटर कर देगी। इंडिया टुडे के अनुसार मीरान इस बारे में लिखती है कि, ‘’दत्त को डर था कि वह रास्ते में किसी मुठभेड़ में मारा जायेगा! उसका डर इतना वास्तविक था कि उसे पसीना आने लगा और उसने बुखार होने की शिकायत की। इस बीच, उनके आर्थर रोड जेल से बाहर निकलने की खबर लीक हो गई और जेल के गेट के बाहर भारी भीड़ जमा होने लगी।’’
मीरान आगे इसके बारे में लिखती हैं, ‘’इसलिए, हमने स्थानांतरण को स्थगित करने का निर्णय लिया और तैनात की गई टीम को वापस ले लिया। दत्त को यरवदा में अपने स्थानांतरण को कोई मुद्दा न बनाने की सलाह दी गई और उन्हें यह समझा गया कि ‘मुठभेड़’ के बारे में उनकी आशंका गलत थी। कुछ समय बाद हम उसे चुपचाप और सफलतापूर्वक स्थानांतरित करने में सक्षम हुए।