This Is How Sharmila Tagore Got Kashmir Ki Kali Movie: अभिनेत्री शर्मिला टैगोर की हालिया रिलीज गुलमोहर में उनके रोल को लोगों ने काफी पसंद किया है। इस फिल्म में शर्मिला के अलावा मनोज बाजपेयी लीड किरदार में रहे हैं। बात अगर शर्मिला टैगोर के शुरूआती करियर की करें, तो 60 के दशक में शर्मिला बंगाली सिनेमा की एक मशहूर अदाकारा थी। शर्मिला टैगोर की बंगाली में कई कामयाब फिल्में रिलीज हो चुकी थी। जिनमें अपु संसार का नाम भी शामिल है। बंगाली फिल्मों की कामयाबी के बाद बंगाल के ही चुनिंदा फिल्म मेकर शक्ति सामंत ने जब अपनी हिंदी फिल्म कश्मीर की कली बनाने की योजना बनाई, तो उन्होने शर्मिला टैगोर को ही अपनी इस फिल्म की हीरोइन चुना। इस फिल्म में शर्मिला शम्मी कपूर के अपोजिट नजर आई थी।
इस फिल्म से जुड़ी कुछ यादों को शर्मिला टैगोर ने हाल ही कपिल शर्मा शो में साझा किया था। जब वो फिल्म गुलमोहर के प्रमोशन के सिलसिले में शो में गई थी। जब कपिल शर्मा ने फिल्म कश्मीर की कली से जुड़ा सवाल पूछा कि ये फिल्म आपको कैसे मिली थी। तब शर्मिला ने बताया कि फिल्म कहानी लेखक सचिन भौमिक और निर्देशक शक्ति सामंता उस समय बंगाली सिनेमा में एक बड़ा नाम था। सचिन भौमिक मेरी मां को जानते थे और जब शक्ति सामंता ने फिल्म कश्मीर की कली बनाने की सोची तो उन्होने शम्मी कपूर को कास्ट किया था।
शर्मिला टैगोर ने आगे कहा कि अब चूकि शम्मी जी उस वक्त नई नई एक्ट्रेस के साथ ही काम करते थे। इसलिए शक्ति दा को सचिन भौमिक ने मेरा नाम सुझाया। तो शक्ति दा मान गए और इस तरह से शम्मी कपूर के साथ मेरी पहली फिल्म कश्मीर की कली की शूटिंग हुई। फिल्म की शूटिंग कश्मीर में हुई। पहले 21 दिनों की शूटिंग के बाद वहां बारिश होने लगी। फिर बारिश के खत्म होने का इंतजार क्रू ने किया और फिर अगले 24 दिनों तक बारिश नहीं हुई और इस दौरान कश्मीर के शेडयूल की सारी शूटिंग पूरी कर ली गई थी।
इस फिल्म में गीत एस.एच बिहारी ने लिखे जबकि संगीत ओपी नैय्यर ने दिया था। गाने मोहम्मद रफी और आशा भोंसले की आवाज़ में रिकॉर्ड किए गए थे। जो कि आज भी पसंद किए जाते हैं। शर्मिला ने इस बारे में कपिल शर्मा शो में बताया कि जब इस फिल्म को गानों की शूटिंग हुई, तो उन्हे शुरू शुरू में लिपसिंग में काफी दिक्कत हो रही थी, लेकिन बाद उन्होने ऐसा किया कि खुद आशा भोसले ने भी आकर शर्मिला की तारीफ की थी। कश्मीर की कली फिल्म 1964 में रिलीज सबसे कामयाब फिल्म थी। इसके बाद 1967 एन इवनिंग इन पैरिस और फिर 1969 में फिल्म अराधना की कामयाबी ने शर्मिला टैगोर को हिंदी सिनेमा की टॉप की एक्ट्रेस बना दिया था।