Hanuman का रोल निभाने के लिए Dara Singh को घंटों भूखे रहकर करनी पड़ती थी शूटिंग, जानिए आखिर क्या थी मजबूरी

लहरें रेट्रो से खास बातचीत में रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने रामायण शो के निर्माण के वक्त की कई अनसुने किस्से साझा किए हैं

Dara Singh Would Not Eat Anything For Hours Due To Makeup: 80 के दशक के आखिर में डीडी नेशनल चैनल पर प्रसारित हुए रामानंद सागर की सबसे कामयाब कृतियों में एक रामायण टीवी शो हैं। जिसके माध्यम से रामानंद सागर ने लोगों के मन मस्तिष्क में राम नाम का अलख जगाने का काम किया था। उस समय रविवार के दिन सड़के सूनी हो जाती थी। इस शो को जब कोरोना के दौरान फिर से प्रसारित किया गया, तब भी इसे बड़ी कामयाबी हासिल हुई थी। आज एक बार फिर से रामायण और उनके किरदारों की चर्चा राम मंदिर के उदघाटन की वजह से फिर से हो रही है। इस बारे में लहरें रेट्रो से खास बातचीत में रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने रामायण शो के निर्माण के वक्त की कई अनसुने किस्से साझा किए हैं।

इसी तरह का एक किस्सा साझा करते हुए प्रेम सागर ने वरिष्ठ पत्रकार भारती एस प्रधान से बातचीत में हनुमान का किरदार निभाने वाले अभिनेता व पहलवान दारा सिंह के बारे में बताई, जो उनके किरदार के प्रति समर्पण को बताता है। प्रेम सागर ने बताया कि हनुमान का मेकअप होने में तीन से चार घंटे लग जाते थे। इससे पहले उन्हे खाना खा लेना पड़ता था। क्योकि तीन से चार घंटे मेकअप में लग जाते थे। इसके बाद वो ना तो कुछ खा सकते थे और न ही कुछ पी सकते थे। इस तरह से 8 से 9 घंटे दारा सिंह बगैर कुछ खाए पिए ही शूटिंग करते थे।

प्रेम सागर ने आगे कहा कि हनुमान के अलावा वानर सेना का मेकअप करना और युध्द के समय 400 से 500 लोगों को तैयार करना बहुत ही चैलेंजिंग रहता था। उसके लिए सूखे नारियल को दो भागों में काट कर उनके मेकअप लुक को पूरा किया जाता और कई कलाकार ऐसे थे जिनको महीने के पेमेंट पर रखा गया था। क्योंकि वो कई किरदार अलग अलग लुक में करते थे। कभी पंडित बन जाते थे, तो कभी वानर सेना का हिस्सा, तो कभी कोई दूसरा किरदार भी कर लेते थे। आगे किरदारों की कास्टिंग से जुड़ा एक किस्सा बताते हुए कहा कि पापा ने इंदौर के एक पान वाले को रावण का सबसे मशहूर वैद्य का किरदार करवा दिया था। जो रामायण के बाद काफी मशहूर हो गया था।

रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने आगे कास्टिंग के बारे में बताते हुए कहा कि सबसे ज्यादा चैलेंजिंग सुग्रीव को चुनना था। उन्हे सुग्रीव के किरदार के लिए कोई मिल ही नहीं रहा था क्योंकि उन्हे दारा सिंह कितना ही मजबूत बंदा सुग्रीव के किरदार के लिए चाहिए था। फिर अचानक एक ऐसा चमत्कार हुआ कि खुद सुग्रीव का किरदार करने वाला शख्स रामानंद सागर के पास पहुंच गया। हालाकि वो पहलवान था लेकिन पापा ने उसे उसके लगन को देखते हुए सुग्रीव बना दिया और रामायण के सारे किरदार अपने आप में एक अनमोल धरोहर हैं।

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