Karz फिल्म की आलोचना पर जब छलका था हिंदी सिनेमा के दूसरे शोमैन Subhash Ghai का दर्द, बोले इससे मैं और Rishi Kapoor दोनों काफी निराश हो गए थे

सुभाष घई ने फिल्म कर्ज से जुड़ी अपनी यादों को ताज़ा करते हुए लहरें को दिए एक फ्लैशबैक इंटरव्यू में बताया था कि कैसे 80 के दशक में इस फिल्म को लेकर मीडिया ने जमकर आलोचना की थी

Subhash Ghai Reacts To Karz Criticism: फिल्म मेकर सुभाष घई को हिंदी सिनेमा का दूसरा शोमैन कहते हैं। घई ने अपने फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं और कई सितारों को सुपरस्टार बनाया है। हालाकि आज के दौर में वो फिल्में नहीं बना रहे हैं, लेकिन अपने इंटरव्यूज व दूसरे वजहों से वो अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। इसी साल सुभाष घई की फिल्म कर्ज ने अपनी रिलीज के 45 साल पूरे किए हैं। इस मौके पर सुभाष घई ने इस फिल्म से जुड़ी अपनी यादें ताज़ा की हैं। फिल्म मेकर ने बताया है कि कैसे 80 के दशक में इस फिल्म को लेकर मीडिया ने जमकर आलोचना की थी और कहा था घई ने यह फिल्म समय से बहुत आगे की सोच के मुताबिक बनाया है। शायद ही लोग इस फिल्म को स्वीकार करेंगे।

सुभाष घई ने हालाकि इस फिल्म को लेकर अपने रिएक्शन में हाल ही में कहा है कि फिल्म के 45 साल पूरे हो चुके हैं और फिल्म अभी भी एकदम फ्रेश लगती है। वो कभी भी इस फिल्म का रिमेक नहीं बनाएंगे। लहरें के पास सुभाष घई का एक फ्लैकबैक इंटरव्यू है। जिसमें फिल्म मेकर ने फिल्म कर्ज व अपने करियर के बारे में कई बातें विस्तार से बताई हैं। सुभाष घई का मानना है कि जब उन्होने कर्ज फिल्म बनाई थी और मीडिया को इस फिल्म को दिखाया था, तब मीडिया ने इस फिल्म की काफी आलोचना की थी और कहा था कि ये टाइम से अहेड फिल्म है। इससे मैं और ऋषि कपूर काफी उदास हो गए थे। हालाकि बाद में फिल्म ने सफलता का एक अलग रिकॉर्ड बनाया था। जिस तरह फिल्म की कहानी सस्पेंस व थ्रिलर से भरपूर थी। उसी तरह लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने अपने संगीत से लोगों का दिल जीत लिया था। फिल्म के गाने भी खूब चले थे और अभी भी लोग इन गानों को सुनना पसंद करते हैं।

सुभाष घई की कर्ज के सामने फिरोज खान की कुर्बानी थी, जो उसी साल रिलीज हुई थी। कर्ज के अलावा 1980 में अमिताभ बच्चन की दोस्ताना, शान और राम बलराम जैसी फिल्में रिलीज हुई थी। बात अगर सुभाष घई के इस इंटरव्यू की करें, तो शुरूआत में उन्होने बताया कि उनके पिता चाहते थे कि पहले वो अपने पढ़ाई पूरी कर ले और फिर फिल्मों में जाएं। घई ने इस बारे में कहा कि शिक्षा बहुत ही जरूरी है। उन्होने बी-कॉम से स्नातक किया और फिर पुणे फिल्म संस्थान में एक्टिंग व डायरेक्शन का कोर्स किया और फिर वो कहानियां लिखने लगे और कई फिल्मों की उन्होने कहानियां लिखी है। फिर उन्होने बतौर एक्टर कई फिल्मों में काम किया। बात नहीं बनी तो डायरेक्टर बनने की ओर कदम बढाया और फिल्म कालीचरण व विश्ननाथ जैसी फिल्मों की कामयाबी से शोहरत की बुलंदी पर पहुंच गए। आगे की कामयाब फिल्मों ने उन्हे दूसरा शोमैन बना दिया।

सुभाष घई के ये पूरा इंटरव्यू देखने के लिए आप लहरें पॉडकास्ट के यूट्यूब चैनल को क्लिक कर सकते हैं या फिर नीचे दिए गए लिंक पर भी इसे देख सकते हैं। अपने इसी इंटरव्यू में सुभाष घई ने ये भी बताया था कि टीना मुनीम ने संजय दत्त से उनकी मुलाकात करवाई थी। जब वो विधाता बनाने जा रहे थे। विधाता के लिए उन्हे एक नौजवान एक्टर चाहिए था। इसलिए टीना मुनीम के कहने पर उन्होने संजय दत्त को फिल्म में लिया था। संजू बाबा की पहली फिल्म रॉकी और फिर विधाता की सफलता ने उन्हे स्टार बना दिया था।

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