R.D.Burman Birth Anniversary: मशहूर संगीतकार राहुल देव बर्मन का शुमार हिंदी सिनेमा के सबसे प्रतिभाशाली संगीतकारों में होता है। जिन्होने केवल 9 साल की उम्र में ही अपनी पहली धुन तैयार कर दी थी। तो पिता सचिन देव बर्मन ने उसे अपनी फिल्म में इस्तेमाल कर लिया। इस पर छोटे आरडी बर्मन पिता पर खफा भी हो गए थे। बाद में जब पिता ने देखा कि उनका बेटा भी अब संगीतकार बनने की राह पर निकल पड़ा है। तो उसे कोलकाता से मुंबई लाए और बाकाएदा संगीत की तालीम दिलवाई। फिर आरडी बर्मन ने फिल्म भूत बंगला के जरिए अपनी काबिलियत साबित की जिसमें उन्होने संगीत के साथ ही साथ सिंगिंग भी की थी। इस फिल्म के जरिए कॉमेडियन महमूद ने आरडी बर्मन को ब्रेक दिया था।
आरडी बर्मन ने फिर बहारों के सपने और तीसरी मंजिल जैसी कामयाब फिल्मों के संगीत दिए और हिंदी सिनेमा में अपनी पैठ जमा ली। आरडी का संगीत और के संगीत से जुदा था और उसमें पश्चिमी सभ्यता की झलक नजर आती थी। उन्होने जहां कई रोमांटिक,सैड गाने बनाए वहीं यूथ की पसंद को ध्यान में रखकर कई कामयाब धुने बनाई। यूं तो आरडी बर्मन की शादी थोड़ा जल्दी हो गई थी, लेकिन ये शादी ज्यादा लंबी नहीं चली। बाद में फिल्म तीसरी मंजिल के गानों की रिकॉर्डिंग के दौरान पंचम दा की मुलाकात आशा भोंसले से हुई। तो धीरे धीरे दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई। आशा के साथ आरडी के कई नायाब गीतों की रचनाएं की।
आशा भोसले भी उस वक्त परिवार के अलगाव के दौर से गुजर रही थी। तो ऐसे में दोनों को एक सहारा मिल गया था। आरडी और आशा ने प्यार तो कर लिया था लेकिन शादी के लिए दोनों को सालों तक इंतजार करना पड़ा था। चूकि आशा पहले से ही तीन बच्चों की मां थी। इसलिए आरडी की मां को ये पसंद नहीं था, लेकिन दोनों के प्यार के आगे मां भी मजबूर हो गई और आरडी ने फिर मां की इच्छा के अनुरूप आशा भोसले से शादी कर ली।
दोनों के बीच प्यार की महत्ता पर एक बार बात करते हुए आशा भोसले ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि एक बार दोनों में लड़ाई हो गई थी और करीब 15 दिनों तक बातचीत नहीं हुई। रिकॉर्डिंग पर दोनों मिलते और फिर चले जाते। एक दिन दोनों ने राजेश खन्ना की एक फिल्म का गीत जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मकाम वो फिर नहीं आते सुना और इस गाने का असर इतना हुआ कि दोनों एक दूसरे से बात करने लगे। ये गीत फिल्म आप की कसम से था जिसे खुद आरडी बर्मन ने कंपोज किया था और किशोर कुमार ने अपनी आवाज़ में अमर कर दिया है।