Dilip Kumar और Lata Mangeshkar के बीच कभी था छत्तीस का आंकड़ा, बाद में ऐसे दूर हुई थी कड़वाहट और दोनों बन गए भाई-बहन

अभिनेता दिलीप कुमार औऱ लता मंगेशकर करियर के शुरूआती दिनों में एक दूसरे को नहीं जानते थे पर वक्त ने ऐसी चाल चली कि लता जी ताउम्र दिलीप साहब को राखी बांधती रही

How Dilip Kumar And Lata Mangeshkars Rivalry Ended: हिंदी सिनेमा के थेस्पियन ट्रेजिडी किंग दिलीप कुमार की आज 101वीं बर्थ एनिवर्सरी है। इस मौके पर जहां उनके फैन्स उन्हे बड़ी ही शिद्दत के साथ याद कर रहे हैं वहीं उनकी वाइफ सायरा बानू ने दिलीप साहब की जयंती के मौके पर दिल को छू लेने वाला एक लंबा चौड़ा पोस्ट अपने सोशल मीडिया पर लिखकर जन्मदिन की बधाई दी है। दिलीप कुमार की बर्थ एनिवर्सरी पर लता मंगेशकर के साथ अगर उनके संबंधों को देखे तो पहले दिलीप कुमार और लता मंगेशकर में कोई खास बॉन्डिंग नहीं थी। पर आखिर वो कौन सी घटना घटी जिसकी वजह से लता जी ने दिलीप साहब को अपना भाई बना लिया और ताउम्र लता जी दिलीप साहब को राखी बांधती रही।

आज ये कहने में थोड़ा सा अजीब जरूर लगता है, पर ये सत्य भी है। हिंदी सिनेमा के गुजरे जमाने के पन्ने को पलटे,तो ऐसी कई अनसुनी सच्चाईयां सामने आती हैं। जिस पर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है। कुछ इसी तरह की कहानी है दिलीप कुमार और स्वर कोकिला लता मंगेशकर की भी। ये किस्सा उस समय का है जब लता मंगेशकर हिंदी सिनेमा के लिए बिल्कुल नई नई थी और दिलीप कुमार बॉम्बे टॉकीज से जुड चुके थे। सभी को ये खबर थी कि दिलीप कुमार को जल्द ही बतौर हीरो लाँच किया जाएगा। एक दिन का किस्सा है कि संगीतकार अनिल बिस्वास के साथ लता मंगेशकर ट्रेन से किसी गाने की रिकॉर्डिंग के सिलसिले में जा रही थी।

कहते हैं कि इसी ट्रेन में उनकी मुलाकात दिलीप कुमार से भी हुई। उस वक्त दिलीप कुमार, लता मंगेशकर पहचानते नहीं थे, लेकिन संगीतकार अनिल बिस्वास जानते थे। अनिल बिस्वास ने ही लता मंगेशकर से दिलीप कुमार का परिचय करवाया और ये भी बताया कि ये लता मंगेशकर हैं, जो एक कामयाब गायिका बनना चाहती हैं। दिलीप कुमार के जेहन में उस वक्त सिर्फ नूरजहां की आवाज़ गूंजती थी। इसलिए दिलीप कुमार ने अनिल बिस्वास से पूछा कि ये कहां की हैं, तो अनिल बिस्वास ने कहा महाराष्ट्र की। महाराष्ट्र का नाम सुनते ही दिलीप कुमार ने लता जी पर कमेंट कसते हुए कहा कि फिर तो इनके लिए उर्दू दालभात की तरह होगी। लता जी उस वक्त तो कुछ नहीं बोली, पर उर्दू सीखने की उन्होने उसी दिन ठान ली और लता जी ने बेहतरीन उर्दू सीखा भी।

इसके बाद महल जैसी कई फिल्में रिलीज हुई और धीरे धीरे लता की आवाज़ पूरे देश में छा गई, पर एक दशक तक लता और दिलीप कुमार में बातचीत नहीं रही। इस दौरान लता मंगेशकर की गायकी से दिलीप कुमार बहुत प्रभावित हुए और कई अपनी फिल्मों में दिलीप कुमार ने लता मंगेशकर के नाम को गाना गाने के लिए रिकमेंड भी किया था। बात 1970 के आसपास की है। एक दिन लता मंगेशकर ने दिलीप कुमार को राखी बांधकर अपना भाई बना लिया और दोनों के बीच की खटास फिर हमेशा के लिए खत्म हो गई। इस पूरे घटनाक्रम को जिस मैगजीन ने कवर किया था। उसने उस वक्त अपनी वीकली मैगजीन के कवर पर हिंदू-मुस्लिम भाई है, के शीर्षक से कवर पेज पर स्टोरी छापी थी।

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