Fardeen Khan ने बताया उनके पिता Feroz Khan बॉलीवुड के पहले मुस्लिम एक्टर थे, जिन्होंने अपना मुस्लिम नाम नहीं बदला, Gadar 2 पर बोली यह बात 

बॉलीवुड के एक्टर फरदीन खान ने अपने पिता फिरोज खान की बर्थ एनिवर्सरी उनसे जुड़ा एक किस्सा साझा किया है और फिल्म गदर 2 पर भी अपने विचार रखे हैं।

Fardeen Khan Says Feroz Khan  Not Changed His Muslim Name: बॉलीवुड के वर्सेटाइल एक्टर फिरोज खान की आज 88वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उनकी बर्थ एनिवर्सरी पर उनके बड़े बेटे फरदीन खान ने उनसे जुड़ा एक अनकहा किस्सा  बताया है। फरदीन ने बताया है कि उनके पिता बॉलीवुड के शायद ऐसे पहले मेनस्ट्रीम एक्टर होंने जिन्होंने अपना मुस्लिम नाम नहीं बदला। 

फरदीन खान ने इसके बारे में बताते हुए अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल से एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि, ‘’ऐसे कई  अभिनेता हुए हैं जिन्होंने अपने टेलैंट, कड़ी मेहनत और करिश्मा से दर्शकों को मोहित कर दिया है। उनमें से मेरे पिता, फ़िरोज़ खान, एक पथप्रदर्शक के रूप में खड़े हैं, न केवल भारतीय सिनेमा के विकास और प्रगति में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए बल्कि उनके धर्मनिरपेक्ष आदर्शों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के लिए भी।’’

फरदीन ने आगे इसी पोस्ट में फिरोज खान द्वारा अपना नाम ने बदले जाने पर लिखा कि, ‘’आज, उनकी बर्थएनिवर्सरी पर मैं “खान साहब” जैसा कि उन्हें प्यार से बुलाया जाता था, के बारे में एक अनकहा तथ्य साझा करना चाहता हूं। यदि पहले नहीं, तो वह निश्चित रूप से पहले मेनस्ट्रीम के हिंदी फिल्म अभिनेताओं में से थे, जिन्होंने अपने जन्म के नाम, फ़िरोज़ खान को “स्क्रीन पर” नाम के रूप में बरकरार रखा। यह निस्संदेह उनके लिए बहुत कठिन निर्णय रहा होगा क्योंकि इसका सीधा असर उनके करियर पर पड़ सकता था, क्योंकि उस समय, भारत के विभाजन के कारण होने वाली पीड़ा और आघात के कारण, मुसलमानों को बहुत संदेह की दृष्टि से देखा जाता था।’’

इसी पोस्ट में फरदीन ने आगे लिखा कि, ‘’इसलिए यह एक आम चलन बन गया और अभिनेताओं, पुरुष और महिला दोनों के लिए यह लगभग एक आवश्यकता बन गई कि यदि उन्हें दर्शकों का दिल जीतने का कोई मौका मिले तो वे अपना नाम बदल लें। कम से कम उन पर अपनी जाति का नाम छोड़ने या बिल्कुल नया उपनाम अपनाने का दबाव डाला गया। उनमें से सबसे प्रसिद्ध दिलीप कुमार साहब थे, जिनका जन्म यूसुफ खान के रूप में हुआ था। यहां तक ​​कि मेरे पिता के भाई अब्बास को भी अपना नाम बदलकर संजय रखना पड़ा और बाद में खान जोड़ना पड़ा। अपनी मुस्लिम पहचान बनाए रखने के मेरे पिता के निर्णय ने एक शक्तिशाली  संदेश दिया और अपनी ओर से अत्यधिक साहस और दृढ़ विश्वास प्रदर्शित किया। यह एक युवा राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने में उनके विश्वास का प्रतीक था।’’

अंत में फरदीन ने गदर 2 जैसी फिल्मों को एकता का प्रतीक बताते हुए लिखा कि, ‘’बाहुबली, आरआरआर, गदर 2, पठान और हाल ही में जवान जैसी फिल्में हमारे विविध दर्शकों की एकता और स्वीकृति की भावना का प्रतीक हैं और मैं इसके लिए उन्हें सलाम करता हूं।’’

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