Dilip Kumar इस तरह Lata Mangeshkar के साथ मनाते थे रक्षाबंधन, काफी व्यस्त होने के बावजूद दिलीप कुमार-लता मंगेशकर रक्षाबंधन पर मिलते थे

बॉलीवुड के दिवंगत अभिनेता दिलीप कुमार और गायिका लता मंगेशकर एक-दूसरे को अपना भाई-बहन मानते थे।

Dilip Kumar Used To Celebrate Raksha Bandhan With Lata Mangeshkar: बॉलीवुड के वर्सेटाइल अभिनेता दिलीप कुमार और वर्सेटाइल गायिका लता मंगेशकर जोकि अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनकी यादें हमारे साथ हैं। आज पूरा बॉलीवुड रक्षा बंधन मना रहा है, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब दिलीप कुमार गायिका लता मंगेशकर के साथ रक्षाबंधन मनाते थे। दिलीप साहब, लता जी को अपनी मुंहबोली बहन मानते थे। रक्षाबंधन के पवित्र मौके पर दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानू ने दिलीप साहब और लता जी के भाई-बहन के रिश्ते को लेकर एक पोस्ट साझा की है। 

सायरा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लता और दिलीप के भाई-बहन वाले संबंध पर एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि, ‘’भारतीय सिनेमा के कोहिनूर दिलीप साहब और भारतीय संगीत उद्योग की स्वर कोकिला लता मंगेशकर के बीच अपने शानदार स्टारडम की चकाचौंध से परे एक रिश्ता था। उन्होंने भाई-बहन का रिश्ता साझा किया। उन सुनहरे शांत बीते दिनों में इस महान युगल को अपने घरों से अपने कार्यस्थलों तक लोकल ट्रेनों में यात्रा करना आरामदायक लगता था, जिसे इस अद्भुत शहर मुंबई की जीवन-रेखा भी कहा जाता है।’’

सायरा ने आगे लिखा कि, ‘’इस यात्रा के दौरान ही उन्होंने अपने विचार, अनुभव साझा किए और एक-दूसरे से सलाह मांगी। ऐसी ही एक यात्रा के दौरान साहब ने लताजी को मार्गदर्शन दिया कि उर्दू का हृदय उसके त्रुटिहीन उच्चारण में कितना निहित है और कैसे नुक्ता जैसी सरल चीज़ शब्दों में एक सुंदर जोड़ जोड़ती है। साहब ने इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति को बोली जाने वाली भाषाओं पर महारत हासिल होनी चाहिए। लताजी, जो हर तरह से एक आज्ञाकारी बहन थीं, ने उनकी सलाह पर काम किया और एक उर्दू ट्यूटर की सहायता मांगी। तब से, दुनिया उनके गीतों में उनके त्रुटिहीन उच्चारण की गवाह बनी।’’

इसके आगे सायरा ने और लिखा कि, ‘’काम या यात्रा या किसी व्यक्तिगत प्रतिबद्धताओं में व्यस्त होने के बावजूद, वे दोनों रक्षाबंधन पर एक-दूसरे से मिलने का रास्ता ढूंढ लेते थे और लताजी साहब के हाथ पर पवित्र राखी बांधती थीं। मुझे खुशी हुई कि उन दोनों ने साल-दर-साल इस अनुष्ठान का पालन किया और मैंने इस खूबसूरत भाव के बदले में उन्हें हर बार उनकी पसंद के अनुसार एक ब्रोकेड साड़ी भेजी! दिलीप साहब ने उन्हें लंदन के प्रतिष्ठित रॉयल अल्बर्ट हॉल में पेश होने का सम्मान दिया, जहाँ पहले भारतीय संगीत कार्यक्रम की गूँज गूंजी थी। अत्यंत सादगी के साथ उन्होंने उन्हें मंच पर बुलाया, अंतर्निहित आकर्षण। “ये मेरी छोटी सी बहन बोहत मुक्तसर सी, मैं इनका परिचय कराने आया हूं।” दर्शकों ने सराहना से गर्जना की। इसी समारोह में लंबे समय तक चलने वाले हजारों रिकॉर्ड बनाए गए और जनता को बेचे गए। कई वर्षों बाद उन्होंने उसे फिर से लंदन पैलेडियम में पेश किया।’’

अंत में सायरा ने लिखा कि, ‘’बीमारी और सेहत दोनों में भाई-बहन का यह बंधन आख़िर तक बना रहा। वह अक्सर साहब से मिलने हमारे घर आती थीं और वे दोपहर या रात का खाना एक साथ खाते थे। पिछली बार जब वह यहां आई थी तो उन्होंने उन्हें प्यार से अपने हाथों से खाना खिलाया था और दोनों ने मिलकर कितनी प्यारी तस्वीर बनाई थी। उनके बीच इतना प्यार था…स्मारकीय!’’

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