Dilip Kumar और Sunil Dutt के बीच थी काफी गहरी दोस्ती, एक रेडियो इंटरव्यू से दोनों की दोस्ती की शुरुआत हुई थी,  चोटिल  होने के बावजूद ईद की मुबारकबाद देने पहुंचे थे सुनील

दिलीप कुमार और सुनील दत्त जोकि अपनी एक्टिंग के लिए तो जाने जाते थे, लेकिन यह दोनों काफी अच्छे दोस्त भी थे।

Dilip Kumar and Sunil Dutt Friendship: बॉलीवुड के दो वर्सेटाइल एक्टर सुनील दत्त और दिलीप कुमार जोकि अब इस दुनिया में नहीं हैं, इन दोनों में बहुत ही पक्की दोस्ती थी। सुनील, दिलीप कुमार से इतना प्यार करते थे कि जब वे चोटिल हुए थे, उसके बावजूद दिलीप साहब को ईद की मुबारकबाद देने पहुंचे थे। इस बात का खुलासा सायरा बानो ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक पोस्ट साझा करके किया है। सायरा ने दोनों की दोस्ती के किस्सों के बारे में बताया है। 

सायरा ने लिखा कि, ‘’मुझे खुशी होती है क्योंकि मैं उन कहानियों और पलों को साझा करती हूं जो साहब ने उन लोगों के साथ साझा किए थे और जिए थे जिन्हें वह दोस्त कहते थे। साहब एक प्यारे और देखभाल करने वाले व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे, लेकिन कम ही लोग जानते थे कि वह एक बहुत अच्छे दोस्त भी थे…उनमें से एक थे सुनील दत्त। दिलीप साहब और दत्त साहब न केवल पड़ोसी थे बल्कि सबसे प्यारे दोस्त भी थे। वे दोनों महान प्रतीक थे, जिन्होंने अपने विलासितापूर्ण जीवन में खुद को अलग नहीं किया, बल्कि हमेशा फिल्म बिरादरी की सहायता के लिए आगे आए, चाहे वह बड़े पैमाने पर उद्योग का मामला हो या कोई संकट हो। जब कोई बड़ी मुसीबत और दिल का दर्द होता था तो दिलीप साहब और दत्त साहब एक साथ आधी रात को दीपक जलाते थे और समाधान खोजने में लग जाते थे, चाहे सुबह के तीन बज रहे हों। या 4, चाहे इसका मतलब दिल्ली आना-जाना हो या मुंबई में नागरिक दंगों के पीड़ितों की मदद करना हो।’’

आगे सायरा ने लिखा कि, ‘’हर्ष और उल्लास के अवसरों पर, सुनील जी को दिलीप साहब के घर में ढलान पर चलते हुए अपनी पसंदीदा पकी हुई दाल की कटोरी साझा करने के लिए देखना एक सुखद अनुभव था, जो उनके लिए हर भोजन के साथ जरूरी था। एक बार महाराष्ट्र के शिरपुर में एक समारोह के बाद जब दत्त साहब वापस आ रहे थे तो उनकी फ्लाइट एक दुर्भाग्यपूर्ण विमान दुर्घटना का शिकार हो गई। वह इससे बच तो गए लेकिन “ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल” पहुंचे। अस्पताल से छुट्टी मिलने पर, चोट ने भी उन्हें अपने दोस्त दिलीप साहब को ईद की मुबारकबाद देने के लिए छड़ी के सहारे उनके घर जाने से नहीं रोका। यह दत्त साहब की महानता और भाईचारा था।’’

अंत में सायरा ने लिखा कि, ‘’जब दिलीप साहब को एक पुरस्कार स्वीकार करने के लिए विदेश यात्रा की आवश्यकता पड़ी, तो दत्त साहब पहले व्यक्ति थे जिन्होंने उनका साथ दिया और उन्हें यह सम्मान प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि ऐसा करते हुए वह इतने सालों बाद अपनी जन्मभूमि देखना चाहेंगे। दोनों के बीच की यह दोस्ती दत्त साहब द्वारा दिलीप साहब और मेहबूब खान की “मदर इंडिया” के साथ किए गए एक रेडियो इंटरव्यू से जुड़ी है, जिसमें दिलीप साहब ने उसी फिल्म में श्रीमती नरगिस जी के बेटे के रूप में कास्ट होने से इनकार कर दिया था। उसके बाद सुनील जी को कास्ट किया गया था उसी भूमिका में।’’

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