National Cinema Day के खास मौके पर 75 रुपए में सिनेमाघर में देखें फिल्में, जानें ऐसे शुरू हुई थी इंडियन सिनेमा की कहानी

National Cinema Day : भारत में सिनेमा प्रेमी की संख्या भारी तादाद में है। लोग सिनेमाघरों में जाकर फिल्में देखना काफी पसंद करते हैं। आप जानते हैं कि भारतीय सिनेमा का इतिहास कितना पुराना है, नहीं ना। पढ़ें पूरी खबर।

National Cinema Day : भारत देश में लोग सिनेमा देखना काफी पसंद करते हैं। हर साल इसकी संख्या में लगातार इजाफा होता ही रहता है। आज 23 सितंबर को नेशनल सिनेमा डे मनाया जा रहा है। ऐसे में नेशनल सिनेमा डे (National Cinema Day) के खास मौके पर मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने अपने दर्शकों के लिए आज के दिन देशभर के सिनेमाघरों में केवल ₹75 में फिल्में देखने का ऑफर किया है। वैसे आपको बता दें कि नेशनल सिनेमा डे पहले 16 सितंबर को मनाया जाना था, मगर बाद में इसका दिन 23 सितंबर रखा गया। खास बात बता दे कि दर्शकों को देश भर के 4000 सिनेमाघरों में आज के दिन यानी कि 23 सितंबर, 2022 को मूवी का टिकट सिर्फ ₹75 देना होगा। आम दिनों में लोगों को अपनी पसंदीदा मूवी देखने के लिए ज्यादा पैसा खर्च करने पड़ते थे, मगर आज नेशनल सिनेमा डे के खास अवसर पर दर्शक कोई भी फिल्म मात्र ₹75 में देख सकते हैं।

वैसे थिएटर में फिल्म देखने की फीलिंग ही बहुत अलग होती है। आज के जमाने में दर्शक कोई भी फिल्म टीवी या फिर अपने फोन पर देख सकते हैं, मगर जो मजा थिएटर में आता है वह कहीं नहीं आ सकता है। एसएन आपको बता दे कि इंडियन सिनेमा का इतिहास 19वीं शताब्दी से पहले का है। दरअसल आपको बता दें कि साल 1896 में ल्यूमेरे ब्रदर्स द्वारा शूट की गई पहली फिल्म ‘बंबई ‘का प्रदर्शन मुंबई में किया गया था, मगर भारत में सिनेमा का इतिहास कब बना जब हरिश्चंद्र सखाराम भाटवाडेकर को सारे दादा के रूप में लोकप्रियता हासिल हुई। ल्यूमेरे ब्रदर्स की फिल्म के परफॉर्मेंस से इंप्रेस हुए हरिश्चंद्र सखाराम भटवाडेकर ने इंग्लैंड से उनके लिए एक कैमरा भी मंगवाया था। यही नहीं बल्कि मुंबई के हैंगिंग गार्डन में उनकी पहली फिल्म ‘द रेसलर’ की शूटिंग की गई थी, और इसे 1899 नई रिलीज किया गया था। ऐसे में इस फिल्म को इंडस्ट्री की पहली सलमानी जाती है।

गौरतलब है कि दादा साहेब फाल्के को इंडियन सिनेमा का फादर कहा जाता है। उनकी पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र 1913 में रिलीज की गई थी। हालांकि एक मूक फिल्म थी, मगर इसी काफी अच्छा रिस्पांस मिला था। बता दे कि दादा साहेब फाल्के सिर्फ एक डायरेक्टर ही नहीं बल्कि एक राइटर, कैमरामैन, एडिटर, मेकअप आर्टिस्ट और आर्ट डायरेक्टर भी थे। साल 1913 से लेकर 1918 तक दादा साहेब फाल्के ने 23 फिल्मों का निर्माण किया था। फिर 1920 में महाभारत और रामायण जैसी ऐतिहासिक फिल्मों ने दर्शकों का दिल ही जीत लिया था। वहीं साल 1931 में मुंबई में रिलीज हुई ‘आलम आरा’ ने इंडियन सिनेमा को एक नई सुबह दिखाया। इस फिल्म के पहले म्यूजिक डायरेक्टर से फिरोज शाह। हालांकि साल 1927 में जहां 108 फिल्मों का निर्माण किया गया था, वही साल 1931 में 328 फिल्मों का निर्माण किया गया था।

ऐसे में धीरे धीरे दर्शकों के बीच इंडियन सिनेमा को लेकर क्रेज बढ़ता गया। साल 1950 और 1960 को इंडियन सिनेमा के इतिहास का सबसे अच्छा दौर मारा जाता है। इस दौर में गुरुदत्त, राज कपूर, दिलीप कुमार, मीना कुमारी, मधुबाला, नरगिस, नूतन, देवानंद और वहीदा रहमान जैसे सितारों ने इंडस्ट्री में कदम रखकर, इसे ऊंचाइयों तक ले कर गए। फिर 1970 से बॉलीवुड में मसाला फिल्मों से राजेश खन्ना, धर्मेंद्र, संजीव कुमार, हेमा मालिनी सहित कई दिग्गज कलाकारों ने अपनी अदाकारी का लोहा मनवा कर दर्शकों को सिनेमा की ओर खींचा। ऐसे में शोले फिल्म ने इंडियन सिनेमा का इतिहास ही बदल कर रख दिया। इस दौर के बाद भारतीय सिनेमा की ओर लोगों का प्यार बढ़ता ही चला गया। वहीं बॉलीवुड इंडस्ट्री में कुछ ऐसे भी फिल्में बनी जिसने लोगों की सोच और उनके नजरिया को भी बदल दिया। 

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