72 Hoorain को प्रोपेगेंडा फिल्म कहने पर भड़के Ashok Pandit, बोले आप 75 हूरें बनाओ कौन रोक रहा है?

72 हूरें फिल्म के निर्माता अशोक पंडित और निर्देशक संजय पूरन सिंह चौहान ने इसे लेकर निराशा जाहिर की है और कहा कि सेंसर बोर्ड के फैसले ने सभी को शॉक्ड कर दिया है

Ashok Pandit Exclusive Talks About 72 Hoorain: फिल्म निर्माता अशोक पंडित द्वारा निर्मित और डायरेक्टर संजय पूरन सिंह चौहान द्वारा निर्देशित फिल्म 72 हूरें अब चर्चा का विषय बनी हुई है। द कश्मीर फाइल्स और द केरल स्टोरी की तरह ही इस फिल्म को लेकर भी विवाद हो रहा है। जब इस फिल्म का पहला लुक रिलीज किया गया था,तभी से इसे लेकर बहस हो रही है। अब ट्रेलर रिलीज के एक दिन पहले केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानि कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म के ट्रेलर को सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया। ऐसा कहा जा रहा है। इसे लेकर अब काफी विवाद हो रहा है। जबकि सेंसर बोर्ड के इस रवैये से फिल्म मेकर्स काफी निराश हैं। उनका कहना है कि फिल्म के ट्रेलर को सर्टिफिकेट न देने का फैसला किसी ऐजेंडे के तरह किया गया है।

वरिष्ठ पत्रकार भारती एस प्रधान के साथ लहरें से खास बातचीत में 72 हूरें फिल्म के निर्माता अशोक पंडित और निर्देशक संजय पूरन सिंह चौहान ने इसे लेकर निराशा जाहिर की है और कहा कि सेंसर बोर्ड के फैसले ने सभी को शॉक्ड कर दिया है। लहरें से खास बातचीत करते हुए फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने कहा कि हमें ऐसी आशा नहीं थी कि एक नेशनल अवार्ड विनिंग फिल्म के डायरेक्टर की फिल्म के ट्रेलर को सेंसर बोर्ड ने प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया है। जबकि इस फिल्म ने पहले दूसरे भी कई प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते हैं। अशोक पंडित ने आगे कहा कि सेंसर बोर्ड फिल्म को सर्टिफिकेट दे रहा है लेकिन ट्रेलर को सर्टिफिकेट देने से मना कर रहा है। जबकि ट्रेलर में सर्टिफाइड फिल्म के ही दृश्यों का ही इस्तेमाल किया गया है। ऐसा मैं पहली बार देख रहा हूं कि फिल्म को सर्टिफिकेट देने के बाद ट्रेलर से कुछ सीन कट करने की बात सेंसर बोर्ड कह रहा है।

प्रोपेगंडा फिल्म की बात पर भड़कते हुए अशोक पंडित ने लहरें से कहा कि इस फिल्म का द कश्मीर फाइल्स और द केरल स्टोरी से पहले प्रीमियर हो चुका है। इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल ऑफ इंडिया (IFFI) में पुरस्कृत हो चुकी है। खुद भारत सरकार ने भी 2021 में इस फिल्म के लिए संजय पूरन सिंह चौहान को बेस्ट डायरेक्शन का राष्टीय फिल्म पुरस्कार दे चुकी है। तो फिर ये प्रोपेगंडा फिल्म कैसे हुई। दरअसल कुछ लोगों को एक ही तरह की फिल्मों का ऐजेंडा चलाना है और वो उसी के आदी हो चुके हैं। अब जब सत्य घटनाओं और उनके ऐजेंडे के खिलाफ फिल्में बन रही हैं, तो उनकी सोच को खतरा पैदा हो गया है। इसलिए वो इस तरह की फिल्मों का विरोध कर रहे हैं। अशोक पंडित ने आगे कहा कि इन तीनों ही फिल्मों ने क्रिटिक्स को भी एक्सपोज कर दिया है। अगर आपको इससे प्राब्लम है तो आप भी अपनी फिल्में बनाओ। आप 75 हूरों पर फिल्म बनाइए। कौन रोक रहा है आपको।

अशोक पंडित ने हालाकि सेंसर बोर्ड के चेयरमैन प्रसून जोशी की तारीफ की है, लेकिन साथ ही ये भी आरोप लगाया कि कुछ लोग ऐसे यहां बैठे हैं, जो अपना ऐजेंड़ा चला रहे हैं। फिल्म सेंसर हो गई है पर ट्रेलर सेंसर नहीं हुआ। ये पहली बार हो रहा है। इस विवाद के बारे में बात करते हुए फिल्म के निर्देशक संजय पूरन सिंह चौहान ने भी यहीं बात कही कि फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट दे दिया गया है जबकि ट्रेलर में कट की बात की जा रही है। ये बात समझ में नहीं आ रही है। ट्रेलर रिलीज के एक दिन पहले ऐसा कहा जा रहा है। जबकि ये कहना आसान है, पर करना मुश्किल है। पहले ही फिल्म को कुछ कट्स के साथ ए सर्टिफिकेट दिया है और अब ट्रेलर में भी कट चाहिए। ऐसे में तो यही लगता है कि फिल्म बनाना आसान है, पर उसे रिलीज करना अब मुश्किल हो गया है।

फिल्म के निर्देशक ने फिल्म के टाइटल को लेकर कहा कि वो हमेशा से ही अलग करने की कोशिश कर रहे हैं। पहले आतंकवाद पर बहुत सारी फिल्में बन चुकी हैं लेकिन उसमें विक्टिम या फिर जांच ऐजेंसी को आधार माना गया है। ये पहली बार है जिसमें फिदायीन की सोच के हिसाब से फिल्म बनाई गई है कि कैसे वो लोगों का ब्रेन वाश करते हैं। फिल्म मेकर अशोक पंडित और डायरेक्टर संजय पूरन सिंह चौहान का ये पूरा इंटरव्यू आप लहरें टीवी और लहरें रेट्रो पर डिटेल में देख सकते हैं।

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