Amitabh Bachchan की फिल्म Coolie का Climax इस वजह से बदल दिया गया था, तुरूप का पत्ता साबित हुआ था फिल्म मेकर का ये कदम

अमिताभ बच्चन ने ठीक होने के बाद जब फिल्म की शूटिंग दोबारा शुरू की, तो फिल्म की कई चीजों में बदलाव किया गया। इन्ही में एक था फिल्म का क्लाइमैक्स भी

Amitabh Bachchan Coolie Climax Was Changed: सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की 1983 में रिलीज हुई फिल्म कुली, उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी। अमिताभ बच्चन,ऋषि कपूर,रति अग्निहोत्री,वहीदा रहमान और कादर खान की लीड भूमिकाओं से सजी ये फिल्म एक मुस्लिम बैकग्राउंड पर आधारित थी। जिसमें कहानी मनमोहन देसाई के पुराने फंडे पर ही थी, लेकिन लेखक कादर खान ने इस फिल्म को एक नये तरीके से लिखा और कहानी में कुछ सोशल मुद्दों का शामिल किया। ये कहानी है इकबाल नाम के एक लड़के की, जिसका बचपन उजड़ गया था और वो कुली बन अपना गुजारा करता है। पर बाद में कहानी आगे बढ़ने के साथ ही नये नये मोड आने लगते हैं। इस फिल्म की कामयाबी अपनी जगह तो है ही,साथ ही इस फिल्म की सबसे ज्यादा चर्चा अमिताभ बच्चन के भयावह एक्सीडेंट की वजह से होती है। जो उनके साथ कुली की शूटिंग के दौरान पेश आया था।

फिल्म में एक एक्शन सीन की शूटिंग के वक्त पुनीत इस्सर जब सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को पेट में घूसा मारते हैं, तो बिग बी एक लकड़े टेबल से टकरा जाते हैं। शुरू में तो कुछ पता नहीं चलता लेकिन कुछ देर बाद अमिताभ बच्चन के पेट से खून बहने लगता है। फिर आनन फानन में उन्हे मुंबई के एक बड़े ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया। पल भर के लिए डॉक्टरों तो उन्हे मृत घोषित कर दिया था, लेकिन फिर खुदा के करिश्मे ने सदी के महानायक को लाखों लोगों की दुआओं ने बचा लिया था। ये वक्त 1982 की गर्मियों का था, जो अमिताभ बच्चन से जुड़े हर एक शख्स के लिए मुश्किल दौर था। अस्पताल से ठीक होकर जब अमिताभ बच्चन बाहर निकले तो लाखों लोगों की भीड़ उनके इस्तकबाल के लिए खड़ी थी। वहां लोगों ने अमिताभ बच्चन के स्टारडम को देखा था कि उनके चाहने वाले कितनी बड़ी संख्या में हैं।

अमिताभ बच्चन ने ठीक होने के बाद जब फिल्म की शूटिंग दोबारा शुरू की, तो फिल्म की कई चीजों में बदलाव किया गया। इन्ही में एक था फिल्म का क्लाइमैक्स भी। फिल्म की पहले जो कहानी लिखी गई थी। उसके मुताबिक अमिताभ बच्चन को आखिर में कादर खान मार देते हैं। जैसा कि उनके हर बड़ी फिल्म दीवार व शोले वगैरह में हुआ था। पर एक्सीडेंट के बाद जब वो ठीक होकर आए, तो उन्हे परदे पर मारना फिल्म के निर्देशक को अच्छा नहीं लगा। उन्होने सोचा कि जो शख्स इतने लोगों की दुआओं की वजह से फिर से 2 अगस्त को जिंदा हुआ है। उसे दोबारा फिल्म के सीन में मारना ठीक नहीं होगा।

इस विचार से मनमोहन देसाई ने फिल्म का क्लाइमैक्स बदल दिया और अमिताभ बच्चन को गोलियों के लगने के बावजूद वहां भी खुदा के करिश्में की वजह से बचा लिया गया। फिल्म का फिर सुखद अंत होता है और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्डतोड़ कमाई करती है। ये 1983 में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक थी। ऋषि कपूर ने भी अपनी आत्मकथा खुल्ला खुल्ला में इस बात का जिक्र किया है कि जब बिग बी अस्पताल से निकले तो कम से कम लाखों लोग उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब थे। कुछ साल पहले सदी के महानायक ने अस्पताल से निकलकर घर जाने का एक वीडियो फेसबुक पर शेयर किया था। जिसमें घर आने के बाद उनका जबरदस्त स्वागत हो रहा था और तब दूरदर्शन को दिए अपने इंटरव्यू में सीनियर बच्चन ने उस दुखद हादसे के बारे में बताया था।

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