जब Dilip Kumar की शादी में घुटनों के बल चलकर गए थे Raj Kapoor 

बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर और दिलीप कुमार के बीच काफी गहरी दोस्ती थी, राज कपूर, दिलीप कुमार की शादी में घुटनों के बल चले थे।

When Raj Kapoor Went on his Knees To Dilip Kumar’s Wedding: बॉलीवुड के शोमैन राज कपूर साहब की आज 99वीं बर्थ एनिवर्सरी है। राज साहब का जन्म आज है कि दिन 14 दिसंबर 1924 को पेशावर, पाकिस्तान (तब भारत में) हुआ था। राज कपूर ने हिंदी सिनेमा को एक अलग ऊंचाइयों पर पहुंचाया था। राज कपूर की बॉलीवुड के सुपरस्टार दिलीप कुमार से भी काफी अच्छी दोस्ती थी। इन दोनों इतनी पक्की दोस्ती थी कि राज कपूर ने दिलीप कुमार की शादी को लेकर जो वादा किया था, उसको भी पूरा किया था। 

इस वादे के बारे में सायरा बानू ने बताया है। सायरा ने इसके बारे में बताते हुए अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल से एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि, ‘’दिलीप साहब और राज जी के बीच के रिश्ते को महज़ दोस्ती कहना कुछ कम ही होगा; उनमें भाईयों जैसा प्यार था। वे एक-दूसरे की कंपनी को काफी इन्जॉय करते थे, उन चीजों को आपस में साझा करते थे, जोकि उनके परिवार वालों को भी नहीं पता थीं। राज जी और साहब अंत तक एक-दूसरे के साथ थे।’’

सायरा ने आगे राज कपूर के वादे के बारे में बताते हुए लिखा कि, ‘’बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं, लेकिन उन दिनों जब दिलीप साहब कुंवारे थे, राज जी अक्सर उन्हें शादी करने के लिए उकसाते थे, वे कहते थे, “शादी क्यों नहीं करता” और बाद में हंसते हुए कहते थे, “जिस दिन तू शादी करेगा, ‘घुटने के बल चल के आउंगा तेरे पास’, और जिस दिन दिलीप साहब और मेरी शादी हुई, उस दिन वह एक अच्छे दोस्त की तरह अपने शब्दों पर कायम रहे। मुझे अभी भी याद है कि कैसे उन्होंने साहब को इस घटना की याद दिलाते हुए कहा था, “क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था कि मैं उसी दिन घुटने टेक दूंगा जिस दिन तुम शादी करोगी, मैं यह तुम्हारे लिए कर रहा हूं, शादी करने के लिए धन्यवाद”।’’

अंत में सायरा ने दिलीप और राज कपूर की गहरी दोस्ती के बारे में बताते हुए और लिखा कि, ‘’जब राज जी को हार्ट अटैक पड़ा, तो साहब (दिलीप कुमार)  एक सम्मान समारोह के लिए विदेश गए थे, वह तुरंत दिल्ली वापस आ गए और राज जी को देखने के लिए अपोलो अस्पताल पहुंचे, वह उनके पास गए और कहा, “राज, उठो! मैं ‘खुशबू’ ले आया ‘ चपली कबाब की। चलो बाज़ार में पहले की तरह टहलें, कबाब और रोटियों का स्वाद लें। एक्टिंग बंद करो; मुझे पेशावर के आँगन में ले चलो।” भावना से घुटते हुए, जब वह अपने बेहोश दोस्त से बात कर रहे थे तो उनकी आँखों से आँसू बहने लगे। आख़िर तक वे वास्तव में सबसे अच्छे दोस्त थे।राज जी को उनकी जयंती पर बहुत प्यार और स्नेह के साथ याद कर रही हूं।’’

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