भोजपुरी Album “सइयां मिले लड़काइंयां” जल्द ही होगा रिलीज, भोजपुरी को अब ग्लोबल बनाने की तैयारी में पहला लुक जारी

भोजपुरिट के बैनर तले यह पहला एलबम "सइयां मिले लड़कइयाँ" बनकर तैयार है जिस का टीजर आज रिलीज़ कर दिया गया है

Bhojpuri Album Saiyan Mile Larkaiyan Release Soon: कौन कहता है कि आसमाँ में सुराख़ नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों । यह लोकोक्ति अब भोजपुरिट के माध्यम से भोजपुरी में भी सही तरीके से चरितार्थ होने वाली है । यूँ तो बहुतेरे लोग भोजपुरी गीत संगीत, फ़िल्म में सुधार के लिए प्रयत्नशील हैं लेकिन ये आईआईटियन की सोंच है कि भोजपुरी को अब सिर्फ़ गांवों तक ही सीमित नहीं रखना। भोजपुरी को अब मल्टीसिटी का लैंग्वेज बनाना है, भोजपुरी में ऐसे कंटेंट बनाने हैं कि लोग इसकी भव्यता से आकर्षित हों, इसके समृद्ध इतिहास को, अनूठी शिक्षित सुसज्जित विरासत को लोग इज्जत से देखें, ना कि कोई भी इसे ऐरा गैरा नत्थू खैरा समझता रहे और हम चुपचाप इसे मूकदर्शक की भांति देखते रहें।

ऐसा ही प्रयास भोजपुरी माटी के लाल एक आईआईटियनसिंगापुर की धरती से अपनी माटी,मातृभाषा के लिए कर रहे हैं। इनका मकसद है कि भोजपुरी गीत संगीत को ग्लोबलाइज करना । इनका उद्देश्य है  Let’s Connect Collaborate & Create Clean Content । भोजपुरिट यानि कि भोजपुरी + आईटी के संगम से उपजे भोजपुरिट (BhojpuriT) के बैनर तले यह पहला एलबम “सइयां मिले लड़कइयाँ” बनकर तैयार है जिस का टीजर आज रिलीज़ कर दिया गया है । इस एल्बम सॉन्ग को आवाज़ दिया है बॉलीवुड की मशहूर गायिका प्रिया मल्लिक ने। इसके वीडियो में परफॉर्म किया है प्रियन सेन व सुमित लालवानी ने । आदिल खान ने इस वीडियो सॉन्ग का निर्देशन किया है। जल्द ही इस एल्बम को भोजपुरिट के यूट्यूब चैनल से पूरा गाना रिलीज़ किया जाएगा।

मूलरूप से हिंदुस्तान के उत्तरप्रदेश के देवरिया जिले के रहने वाले आईटियन शैलेंद्र द्विवेदी और सिंगापुर में रहते हैं। वहां पर उन्होंने भारत के विभिन्न भाषाओं में बन रहे अच्छे कन्टेन्ट को काफी क़रीब से ऑब्जॉर्व किया है । उनका यही कहना है कि भोजपुरिट हर उस व्यक्ति के साथ मिलकर काम करेगी जो भोजपुरी की बेहतरी के लिए सोंच रखता है । एक एनआरआई का अपनी मातृभाषा के प्रति इतना लगाव कोई साधारण बात नहीं है।

इस भोजपुरिया क्षेत्र ने देश के सर्वोच्च कम्पीटिशन को क्रैक करके निकलने वाले ना जाने कितने प्रशासनिक अधिकारी दिए हैं। हमें उनकी भी गाथाओं को दिखाना होगा तभी जाकर हम अपनी अगली पीढ़ी के सामने बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत कर पाएंगे। अन्यथा सिर्फ गरीबी दिखाने और एक टाइपकास्ट होकर रह जाने से अपनी माटी, माई और मातृभाषा का कल्याण नहीं होने वाला है।

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