Shyama Birth Anniversary: 50 और 60 के दशक की टॉप की एक्ट्रेस एक सिनेमैटोग्राफर पर हो गई थी फिदा, बड़ी ही खूबसूरत रही है इनकी प्रेम कहानी

हिंदी सिनेमा में 40 के दशक से अपने करियर की शुरूआत करने वाली श्यामा ने 50 और 60 के दशक में बतौर लीड हीरोइन कई कामयाब फिल्में दी थी। फिल्मों में काम करते करते उन्हे सिनेमैटोग्राफर से इश्क हो गया था जिससे उन्होने बाद में शादी भी की थी

Yesteryear Actress Shyama Success Story: 7 जून 1935 को लाहौर में जन्मी श्यामा की फिल्मों में आने की कहानी बड़ी ही दिलचस्प रही है। छोटी सी उम्र में श्यामा के पिता मुंबई आ गए थे और यहीं श्यामा की परवरिश हो रही थी। श्यामा नाम फिल्मी नेम है। वैसे श्यामा का असली नाम खुर्शीद अख्तर था। श्यामा जब फिल्मों में आई, तो उन्हे उस समय के मशहूर निर्देशक रहे विजय भट्ट ने उन्हे एक फिल्मी नाम दिया श्यामा। तो इस तरह से खुर्शीद अख्तर देखते ही देखते श्यामा के नाम से मशहूर हो गई। श्यामा की बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर लहरें की अर्काइव से एक फ्लैशबैक इंटरव्यू देखते हैं जिसमें श्यामा ने अपने फिल्मों में आने की कहानी और मशहूर सिनेमैटोग्राफर फली मिस्त्री से इश्क के फलसफे को बहुत ही विस्तार से बताया था।

लहरें रेट्रो को दिए इंटरव्यू में श्यामा ने फिल्मों में आने की अपनी कहानी को बताते हुए कहती हैं कि जब वो पढ़ाई कर रही थी। तो अपनी सहेलियों के साथ फिल्म की शूटिंग देखने गई थी। वहां फिल्म से जुड़े एक शख्स ने श्यामा और उनकी सहेलियों से कहा कि फिल्म में काम करोगी। दरअसल उन्हे एक कव्वाली की शूटिंग के लिए कुछ नई लड़कियां चाहिए थी। जो श्यामा के साथ शूटिंग देखने आए गैंग में मौजूद थी। इसके बाद श्यामा ने वो मौका हाथ से जाने नहीं दिया और उस समय की मशहूर एक्ट्रेस व सिंगर नूरजहां के साथ एक कव्वाली की शूटिंग की। इसके बाद तो फिल्मों की शूटिंग का सिलसिला शुरू हो गया। श्यामा लहरें को दिए इंटरव्यू में इसे लेकर कहती हैं कि इसके बाद पढ़ाई बंद हो गई और शूटिंग शुरू हो गई।

इस तरह से श्यामा ने बतौर कोरस छोटी मोटी भूमिकाओं से फिल्मों में काम करना शुरू किया और धीरे धीरे श्यामा ने सहायक एक्ट्रेस के तौर पर हिंदी सिनेमा मेंं अपनी पहचान बनाई। इस दौरान कई वैंप यानि निगेटिव रोल्स भी किए। जिसे लोगों ने खूब पसंद किया था। श्यामा इस तरह प्रोड्यूसर्स की पहली पसंद बन गई थी। श्यामा आगे कहती हैं कि 1950 के आसपास एस मुखर्जी ने उनका स्क्रीन टेस्ट लिया और उन्हे बतौर हीरोइन साइन किया। उस समय श्यामा को 2000 रूपये महीना की सैलरी पर रखा गया था। श्यामा ने अपने करियर में आर पार,बरसात की रात,भाभी,तराना जैसी कई कामयाब फिल्में की और उस समय के सभी बडे़ सुपरस्टार्स के साथ काम किया।

राज कपूर के साथ श्यामा ने शारदा फिल्म में काम किया। जिसमें मीना कुमारी लीड में थी। इस फिल्म को भी लोगों ने खूब पसंद किया। श्यामा की किस्मत यहां काफी अच्छी थी कि उन्हे उस दौर में कई सुपरहिट गाने भी मिले। श्यामा अपने काम को लेकर काफी ईमानदारी रही हैं और अपने शॉट को लेकर कई बार वो डायरेक्टर्स से भी भिड़ जाती थी और अपनी बातों से उन्हे कायल भी कर लेती थी। इसी दौरान श्यामा को इश्क भी होने लगा था। श्यामा ने लहरें रेट्रो को बताया था कि वो फिल्म सजा की शूटिंग कर रही थी। जिसके सिनेमैटोग्राफर फली मिस्त्री थे। वो चुपके चुपके फली मिस्त्री को देखा करती थी और देखते ही देखते वो फली को दिल दे बैठी। हालाकि उन्हे कई और लोग भी छेड़ा करते थे लेकिन श्यामा फली को देखते ही उन पर फिदा हो गई थी।

श्यामा कहती हैं कि फली से उनके इश्क की शुरूआत 1950 में हुई और तीन साल बाद 1955 में उन्होने फली मिस्त्री से विरोध के बाद शादी भी कर ली थी। श्यामा फली को बहुत चाहती थी। श्यामा अपने परिवार को फिल्मों की शूटिंग में बिजी रहने के बावजूद बराबर समय देती थी। फली मिस्त्री पारसी परिवार से थे लेकिन श्यामा के लिए ये बात मायने नहीं रखती थी। श्यामा ने फली से सच्ची मोहब्बत की थी। श्यामा और फली के तीन बच्चे हुए। पर कुछ सालों बाद 1979 में फली का निधन हो गया। पति के निधन के बाद श्यामा ने अपनी परिवार को बाखूबी संभाला। हिंदी सिनेमा को कई नायाब तोहफे देने वाली श्यामा का भी 82 साल की उम्र में निधन हो गया। 14 नवंबर 2017 को फेफड़े में इंफेक्शन की वजह से श्यामा की मौत हुई थी। श्यामा भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन वो हिंदी सिनेमा और फैन्स के दिलों में हमेशा बसी रहेंगी।

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