पिता की ख्वाहिश थी कि बेटा इंजीनियर बने लेकिन Jagjit Singh बन गए ग़ज़ल सम्राट, जानिए इस सफर की दिलचस्प कहानी

गजल गायिकी की विधा में यूं तो समय समय पर कई शख्सियतें आती रही हैं लेकिन जो मुकाम गायक जगजीत सिंह ने हासिल किया। वैसा मुकाम किसी और गायक को हासिल नहीं हुआ

Jagjit Singh Birth Anniversary: गजल गायिकी की विधा में यूं तो समय समय पर कई शख्सियतें आती रही हैं लेकिन जो मुकाम गायक जगजीत सिंह ने हासिल किया। वैसा मुकाम किसी और गायक को हासिल नहीं हुआ। जगजीत सिंह की इस खूबी ने उन्हे देखते देखते गज़ल सम्राट के रूप में सबके सामने ला दिया। आज इस महान गायक की 82वीं जयंती है। आइए इस मौके पर जानते हैं कि आखिर जगजीत सिंह ने अपनी इस सफर का आगाज कैसे किया और फिर उनके सफर में कौन बना उनका हमसफर।

8 फरवरी 1941 को पैदा हुए जगजीत सिंग के रग रग में संगीत बचपन से ही बस गया था। डीएवी कॉलेज जालंधर से आर्ट की डिग्री लेने के बाद आकाशवाणी जालंधर से ही जगजीत सिंह ने अपने प्रोफेशनल करियर का आगाज़ किया। पोस्ट ग्रेजुएट होने के बाद भारतीय शास्त्रीय संगीत के शिक्षा जगजीत सिंह ने उस जमाने के जाने माने उस्तादों से ली। 1965 में जगजीत सिंह घरवालों को बिना बताए मुंबई आ गए, जबकि पिता उन्हे इंजीनियर बनाना चाहते थे। यहां आकर कुछ फिल्मों और कुछ विज्ञापनों में प्लेबैक सिंगिंग की। 1967 में वो सिंगर चित्रा सिंह से मिले और दोनों ने 1969 में शादी कर ली। सालों दोनों अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष करते रहे लेकिन 1977 में दोनों का The Unforgettable नाम का अलबम रिलीज हुआ जोकि बहुत कामयाब हुआ। इसी से दोनों की पहचान हुई।

इससे पहले जगजीत सिंह ने 1974 में रिलीज फिल्म आविष्कार में गाना गाया था और उनके अलबम की कामयाबी के बाद उनकी मखमली आवाज का जादू फिल्मों में चलने लगा। 80 और 90 के दशक में कई फिल्मी गजलों को जगजीत सिंह और चित्रा ने अपनी खूबसूरत आवाज़ में रिकॉर्ड किया। जिनमें प्रेम गीत,अर्थ,साथ साथ के अलावा सरफरोश,हिना,बाबुल,वीरजारा जैसी कई फिल्में शामिल हैं। 90 के दशक में जगजीत सिंह शोहरत की बुलंदी पर पहुंच गए थे। कहते तो ये भी हैं कि एक पाकिस्तानी जासूसी कर रहा था बाद में पता चला कि वो जगजीत सिंह का फैन है। इसके अलावा एक किस्सा ऐसा है कि जगजीत सिंह की गज़ल सुनने के लिए फ्लाइट को लेट कर दिया गया था।

फिर अचानक जगजीत सिंह की जिंदगी में एक बड़ा हादसा हो गया। उनके 20 साल के बेटे सड़क हादसे में निधन हो गया। इससे जगजीत सिंह को गहरा सदमा लगा और उन्होने गायकी छोड़ दी। हालाकि सदमे से निकलने के बाद वो गाने लगे लेकिन उनकी पत्नी चित्रा ने तो तब से गाना ही छोड़ दिया। जगजीत सिंह की मलमली आवाज का सफर 2011 में थम गया जब ब्रेन हेमरेज से गजल को घर घर में मशहूर करने वाला शख्स हमेशा के लिए चला गया। भले ही जगजीत सिंह आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी आवाज हमेशा गुनगुनाती रहेगी।

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