spot_img
spot_img

जरूर देखें

Saira Banu ने Dilip Kumar से मिलने का आगे का दिलचस्प किस्सा किया शेयर, बोली इस बड़ी वजह से साहिब से तब नहीं हो पाई थी मुलाकात

Saira Banu & Dilip Kumar Story: 60 और 70 के दशक की खूबसूरत एक्ट्रेस सायरा बानों ने अपने शौहर व ट्रेजिडी किंग दिलीप कुमार से मिलने का किस्सा अपने पिछले नोट में बयां किया था। जिसमें एक्ट्रेस ने मुलाकात को बड़े ही दिलचस्प मोड पर छोड़ दिया था। आज एक्ट्रेस ने इस किस्सों का आगे बताते हुए अपनी साहिब से मुलाकात का सस्पेंस खोला है। एक्ट्रेस ने बताया कि वो दिलीप कुमार से मिलने के लिए अपनी मां की गोटा वाली भारी भरकम साड़ी पहन कर गई थी। जिसे उस वक्त संभालना मुश्किल हो रहा था।

Saira Banu ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल इंस्टाग्राम पर आगे की कहानी बयां करते हुए कहा कि मैंने कई सालों तक हवाई महल बनाए थे और मैं खूबसूरत मधुबाला समेत सभी सुंदर महिलाओं से वाकिफ थी जो दिलीप कुमार में रुचि रखती थीं, लेकिन क्या आपको लगता है कि कोई भी चीज मुझे मिसेज दिलीप कुमार बनने के मेरे सपने से रोक सकती है? मराठा मंदिर में 5 अगस्त 1960 को सायरा बानो, दिलीप कुमार को पहली नजर देखने के लिए बेताब थीं। वह इधर-उधर सिर्फ दिलीप कुमार को ही ढूंढ रही थीं, लेकिन उन्हें अपने साहिब की एक झलक नहीं दिखी। इस चीज से वह बहुत दुखी हो गई थीं।

दिलीप कुमार और के आसिफ में हुआ था मतभेद:

एक्ट्रेस ने आगे बताया कि बाद में उन्हे पता चला कि साहिब और उनके बहुत करीबी दोस्त व ‘मुगल-ए-आजम’ के निर्देशक के. आसिफ के बीच की दोस्ती में खटास आ गई थी क्योंकि आसिफ साहब ने दिलीप साहब से एक शब्द कहे बिना उनकी छोटी बहन अख्तर से गुपचुप तरीके से शादी करके साहिब और उनके परिवार को आश्चर्यचकित कर दिया था। कम से कम कहने के लिए मैं अपनी मां के साथ अपनी सीट पर बैठी थी। अजीब बात यह है कि मुझे लगता है कि इन प्रतिकूल घटनाओं के कारण साहिब ने कभी “मुगल-ए-आजम” नहीं देखा था। बाद में हमारी शादी के बाद हमें पूना के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में आमंत्रित किया गया।

Saira Banu & Dilip Kumar Story: सायरा बानो ने जब दिलीप साहब को दिखाई मुगल-ए-आजम

सायरा बानों आगे लिखती हैं कि यह एक आकर्षक अनुभव था जिसमें सभी छात्र साहिब के आसपास इकट्ठा हुए थे और संस्थान के प्रतिष्ठित लोगों को दिलीप साहब का स्वागत करने और उनकी फिल्मों के लिए सम्मानित किया गया था, जिन्हें संस्थान में पढ़ने वालों को बार-बार दिखाया गया था। जैसे ही मुझे पता चला कि वे “मुगल-ए-आज़म” को नाटक के पाठ के रूप में देखते हैं, मैं खुशी से उछल पड़ी। मैंने उनसे ‘मुगल-ए-आजम’ दिखाने का अनुरोध किया और पहली बार साहिब को ‘मुगल-ए-आजम’ दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ये भी पढ़े: Mumtaz से Rajesh Khanna इसलिए हो जाते थे नाराज़, Sharmila Tagore के साथ दुश्मनी व Shammi Kapoor के साथ अपने रिश्ते पर खुलकर बोली…

Latest Posts

ये भी पढ़ें