Khayyam ने उमराव जान के लिए Asha Bhosle की आवाज़ का ऐसे किया था इस्तेमाल, फिल्म में गाना उनके के लिए किसी चैलेंज से कम नहीं था

80 के दशक में रेखा और फारूख शेख की लीड भूमिका से सजी फिल्म उमराव जान ने सफलता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। इस बारे में लहरें से बात करते हुए संगीतकार ख्य्याम ने एक बार बताया था कि उन्होने आशा भोसले की आवाज का किस तरह से इस्तेमाल किया था

Khayyam Recalls How Asha Bhosle Made History With Umrao Jaan: हिंदी सिनेमा में संगीतकार ख्य्याम का अपना एक अलग स्थान है। उन्होने अपने संगीत के जरिए हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को हमेशा बढ़ावा दिया है। 50 के दशक से ही ख्य्याम साहब ने हिंदी फिल्मों में संगीत देना शुरू कर दिया था। ख्य्याम ने 1948 में बनी फिल्म हीर रांझा में संगीत देकर अपनी शुरूआत शर्मा जी वर्मा जी की जोड़ी के रूप में की। बाद में स्वतंत्र रूप से ख्य्याम साहब को राजकपूर की 1958 में रिलीज फिल्म फिर सुबह होगी में जबरदस्त संगीत के लिए जाना गया। इसके बाद शोला और शबनम, शगून और 70 के दशक में यश चोपड़ा की फिल्म कभी कभी के लिए ख्य्याम साहब ने बेमिसाल धुनों की रचनाएं की।

आशा भोसले की जन्मदिन पार्टी में शिरकत करने आए ख्य्याम साहब ने एक बार बात करते हुए आशा भोसले के साथ अपने गानों के बारे में विस्तार से बातें की। लहरें के इस नये पोडकास्ट में आप देख पाएंगे। जिसमें ख्य्याम साहब ने बताया था कि आशा भोसले के साथ उनका रिश्ता बहुत पुराना है। 1949 में आई फिल्म परदा से ख्य्याम और आशा भोसले ने एक दूसरे के साथ काम करना शुरू किया। इसके बाद फुटपाथ और फिर फिल्म बनी फिर सुबह होगी। इस फिल्म के गाने की रिकॉर्डिंग के बाद तो आशा ताई ने ख्य्याम साहब से कह दिया था कि ख्य्याम साहब आपकी तो सुबह आ गई है। मतलब था आपके संघर्ष के दिन अब खत्म हो गए हैं।

Khayyam साहब ने आशा भोसले के साथ फिल्म उमराव जान के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ काम किया था। इस बारे में बात करते हुए ख्य्याम साहब ने कहा कि उनकी वाइफ के कहने पर उन्होने उमराव जान के लिए आशा भोसले को चुना था। ख्य्याम ने आगे कहा कि इसके पहले पाकीजा व दूसरी फिल्में रिलीज हो चुकी थी। जिसमें लता मंगेशकर ने आवाज दी थी। पाकीजा के गानों को जब आज हम सुनते हैं, तो वही ताजगी देखने को मिलती है। इसलिए ख्य्याम साहब ने सोचा कि उमराव जान के लिए वो कुछ अलग करेंगे और इसी कोशिश में उन्होने आशा भोसले की आवाज़ में गाने रिकॉर्ड करने का प्लान बनाया।

ख्य्याम साहब ने आगे इसी इंटरव्यू में बताया कि पहले तो आशा भोसले घबरा गई और कहने लगी वो इतने हाई टोन में नहीं गा सकती। इसके बाद कुछ दिनों के रियाज के बाद आशा भोसले ने पूरी लगन के साथ उमराव जान के गाने रिकॉर्ड किए और कामयाबी का एक नया इतिहास रच दिया। ख्य्याम साहब के गाने आज जब भी हम सुनते हैं। तो भारतीय शास्त्रीय संगीत एक नया नजारा सुनने को मिलता है।

ये भी पढ़े: Munna Bhaiya के वापस आने के प्रोमों ने दर्शकों को किया सरप्राइज, जानिए कहाँ और कैसे देख सकते हैं Mirzapur 3 का बोनस एपिसोड

Latest Posts

ये भी पढ़ें