Hathras Case UP Government Statement: उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Goverment) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि कथित रूप से हाथरस (Hathras) में गैंगरेप (Gangrape) की शिकार हुई पीड़िता का अंतिम संस्कार रात में इसलिए किया गया क्योंकि ऐसी खुफिया सूचनाएं मिली थीं कि युवती और आरोपी दोनों के समुदायों के लाखों लोग राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ उसके गांव में इकट्ठा होंगे। जिससे कानून-व्यवस्थाको लेकर बड़ी समस्या हो जाती। राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत से मामले की जांच सीबीआई (CBI) से कराने का निर्देश देने का भी आग्रह किया। इसने दावा किया कि निहित स्वार्थ वाले लोग निष्पक्ष जांच को विफल करने का प्रयास कर रहे हैं।
राज्य ने इस बात पर जोर दिया कि, “कुछ निहित स्वार्थो द्वारा नियोजित (मुद्दे पर) जातिगत विभाजन से उत्पन्न संभावित हिंसक स्थिति को छोड़कर, दाह संस्कार जल्दी करने के पीछे कोई बुरा इरादा नहीं हो सकता।” राज्य के हलफनामे को अदालत में दायर किया गया था।

अपने हलफनामे में, राज्य ने पीड़िता के दाह संस्कार को उचित ठहराया – जिसकी मृत्यु 29 सितंबर को दिल्ली के एक अस्पताल में हुई थी और 30 सितंबर को देर रात 2.30 बजे उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया क्योंकि “इस बात की आशंका थी कि प्रदर्शनकारी हिंसक हो सकते हैं।”
सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भी फैसला सुनाए जाने को लेकर जिले में हाई अलर्ट था।
यह कहा गया कि हाथरस जिला प्रशासन को 29 सितंबर की सुबह से कई खुफिया जानकारी मिली थी, जिस तरह से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में एक धरना आयोजित किया गया था और “पूरे मामले का फायदा उठाया जा रहा है और इसे एक जातिगत और सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है।”
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इसने कहा कि ऐसी असाधारण और गंभीर परिस्थितियों में, जिला प्रशासन ने सुबह में बड़े पैमाने पर हिंसा से बचने के लिए उसके माता-पिता को मनाकर रात में सभी धार्मिक संस्कारों के साथ शव का अंतिम संस्कार कराने का फैसला लिया। पीड़िता का शव उसकी मौत और पोस्टमार्टम के बाद 20 घंटे से अधिक समय तक पड़ा रहा था।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने कथित तौर पर 29 सितंबर को 19 वर्षीय पीड़िता के शव को दिल्ली के अस्पताल से निकाल लिया और हाथरस के बुलगड़ी गांव ले जाया गया। शोक संतप्त परिवार ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वह अंतिम बार शव को घर ले जाने की अनुमति दें और यहां तक कि शव ले जाने वाली एम्बुलेंस को भी रोकने की कोशिश की। हालांकि, परिवार ने आरोप लगाया, वे अंतिम संस्कार के दौरान अपने घर में बंद थे।