पूर्व केंद्रीय मंत्री Buta Singh का निधन, PM Modi और Rahul Gandhi ने जताया दुख

कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री (Former union minister) बूटा सिंह ( Buta Singh) का शनिवार सुबह दिल्ली के AIIMS अस्पताल में निधन हो गया। वो 86 साल के थे। बूटा सिंह अक्टूबर में कोमा में चले गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।

Buta Singh Passes Away: कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री (Former union minister) बूटा सिंह ( Buta Singh) का शनिवार सुबह दिल्ली के AIIMS अस्पताल में निधन हो गया। वो 86 साल के थे। बूटा सिंह अक्टूबर में कोमा में चले गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उन्होंने आज सुबह करीब 5.30 बजे अंतिम सांस ली। बूटा सिंह ने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में केंद्रीय गृह मंत्री समेत कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। इसके साथ ही वह बिहार के राज्यपाल और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष भी रहे। पीएम मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उनके निधन पर दुख जताया है। पीएम मोदी ने ट्वीट करके कहा, ‘‘बूटा सिंह एक अनुभवी प्रशासक और गरीबों तथा वंचितों के कल्याण के प्रभावी आवाज थे। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिजनों और समर्थकों के प्रति मैं संवेदना व्यक्त करता हूं।’’

Former union minister Buta Singh Passes Away

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ट्वीट कर लिखा कि सरदार बूटा सिंह जी के देहांत से देश ने एक सच्चा जनसेवक और निष्ठावान नेता खो दिया है। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा और जनता की भलाई के लिए समर्पित कर दिया, जिसके लिए उन्हें सदैव याद रखा जाएगा। इस मुश्किल समय में उनके परिवारजनों को मेरी संवेदनाएँ।

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केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लिखा कि पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री, सरदार बूटा सिंह जी के निधन का दुःखद समाचार मिला। ईश्वर उनके परिजनों को दुःख की इस घड़ी में शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति

बूटा सिंह कांग्रेस से तब जुड़े थे जब पंडित जवाहर लाल नेहरू पीएम बने थे। वह इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव व मनमोहन सिंह की कैबिनेट में रह चुके थे। उन्होंने देश में दलित नेता के रूप में पहचान बनाई। वह अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) के महासचिव (1978-1980), भारत के गृह मंत्री और बाद में बिहार के राज्यपाल (2004-2006) बने। बूटा सिंह दलितों के मसीहा के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने भारत में और विदेशों में विशेष रूप से श्री अकाल तख्त साहिब के निर्माण/पुनः निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद उन्होंने दिल्ली व अन्य स्थानों पर गुरुद्वारों के पुनर्निर्माण में भी भूमिका निभाई।

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