जानिए Bhupen Hazarika के संगीत से सजे Rudaali फिल्म के इस गाने ने कैसे विवाद के बावजूद हासिल की रिकॉर्ड़तोड़ सफलता

लहरें के साथ एक पुराने विशेष साक्षात्कार में भूपेन हजारिका ने संगीत में आधुनिकता को गले लगाते हुए अपनी जड़ों से जुड़े रहने के महत्व पर विस्तार से चर्चा की थी

Bhupen Hazarika Flashback Lehren Podcast: असम में पैदा हुए बहुमुखी व्यक्तित्व व प्रतिभा के धनी भारत रत्न भूपेन हजारिका ने अपने क्षेत्रीय जड़ों के सार को राष्ट्रीय मंच पर लाकर भारतीय संगीत जगत में महत्वपूर्ण योगदान दिया और असम व पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति और लोक संगीत को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर बढ़ावा देने वाले एक सम्मानित व्यक्ति बन गए। उनके प्रभावशाली करियर में पार्श्व गायक, गीतकार, संगीतकार, कवि, अभिनेता, कलाकार, संपादक, फिल्म निर्माता, प्रोफेसर और यहां तक कि राजनेता सहित विभिन्न भूमिकाएं शामिल थीं। जिनको अपने जीवन काल में भूपेन हजारिका ने बाखूबी अदा किया। शायद इसी उपलब्धि की वजह से उन्हे देश के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से मरणोपरांत 2019 में सम्मानित किया गया था।

लहरें के साथ एक पुराने विशेष साक्षात्कार में भूपेन हजारिका ने संगीत में आधुनिकता को गले लगाते हुए अपनी जड़ों से जुड़े रहने के महत्व पर विस्तार से चर्चा की थी। चलिए आपको भी बताते हैं हजारिका ने उस बातचीत में फिल्म रूदाली के एक मशहूर गाने दिल हूम हूम करे के विवाद और फिर उसकी बेजोड़ सफलता को लेकर क्या कहा था। हजारिका ने इस बातचीत में उन संगीत निर्देशकों की आलोचना की, जो शिकायत करते हैं कि युवा पीढ़ी भारतीय संगीत पर पॉप और अंग्रेजी गीतों को प्राथमिकता देती है। हजारिका ने आगे कहा कि भारतीय सांस्कृतिक और लोक संगीत में रुचि में गिरावट के लिए संगीत निर्देशक खुद जिम्मेदार हैं।

इसी बातचीत में भूपेन हजारिका ने फिल्म रूदाली के गीतों पर भी बात की और कहा कि दिल हूम हूम करे गाने को लेकर पहले खूब विवाद हुआ था और बाद में इसी गाने ने जबरदस्त सफलता हासिल करते हुए राजस्व में 6 करोड़ की कमाई की। हजारिका ने इस दौरान आने वाली चुनौतियों को साझा किया, यह देखते हुए कि कई लोगों ने विवाद के कारण एलबम खरीदने से परहेज किया। दिलचस्प बात यह है कि इस एलबम को 18-22 साल युवाओं ने पसंद किया और अधिकतम संख्या में एल्बम खरीदे थे, हजारिका ने भारतीय संगीत उद्योग के सुनहरे दिनों में अपने अनुभवों को भी रेखांकित किया और बताया कि कैसे लता मंगेशकर और आशा भोसले जैसे महान गायिकाओं गानों की रिकॉर्डिंग की, जो घंटों रियाज करते थे।

भूपेन हजारिका की जर्नी न केवल उनकी अपनी यात्रा के लिए एक वसीयतनामा हैं, बल्कि भारतीय संगीत के विकसित परिदृश्य के लिए एक श्रद्धांजलि भी है। संगीत निर्देशकों की जिम्मेदारियों और संगीत में सांस्कृतिक जड़ों के महत्व में उनकी अंतर्दृष्टि उद्योग और दर्शकों, दोनों के लिए मूल्यवान सबक प्रदान करती है। उनकी अंतर्दृष्टि और अनुभवों की पूरी गहराई को जानने के लिए आप इस लिंक पर जाकर भूपेन हजारिका का ये पूरा इंटरव्यू देख सकते हैं।

ये भी पढ़े: Hombale Films ने जीते 4 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, तो Yash ने Rishab Shetty और होम्बले फिल्म्स को दी बधाई, बोले कन्नड़ सिनेमा के लिए…

Latest Posts

ये भी पढ़ें