Deewaar के 50 साल: Salim-Javed ने हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार Rajesh Khanna को रिप्लेस कर Amitabh Bachchan को बनाया था हीरो

लेखक जोड़ी सलीम जावेद की लिखी फिल्म दीवार को भला कैसे कोई भूल सकता है। इस फिल्म का हर संवाद आज भी लोग बोलना पसंद करते हैं। 21 जनवरी 1975 को रिलीज इस फिल्म के अब 50 साल पूरे हो गए हैं

Amitabh Bachchan Deewaar Turns 50: 70 और 80 के दशक में लेखक जोड़ी सलीम जावेद की हिंदी सिनेमा में तूती बोलती थी। आलम ये था कि इन दोनों के इशारे पर फिल्म की कास्टिंग भी होती थी। सलीम जावेद की लिखी फिल्म दीवार को भला कैसे कोई भूल सकता है। इस फिल्म का हर संवाद आज भी लोग बोलना पसंद करते हैं। 21 जनवरी 1975 को रिलीज इस फिल्म के अब 50 साल पूरे हो गए हैं। फिल्म के निर्देशक यश चोपड़ा फिल्म में राजेश खन्ना और देव आनंद को कास्ट करना चाहते थे और दोनों सितारों को ये फिल्म यश चोपड़ा ने ऑफर भी की थी। देव आनंद ने पहले फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया और बाद में सलीम जावेद के कहने पर राजेश खन्ना का पत्ता भी फिल्म से कट गया। तो चलिए फिल्म के 50 साल पूरे होने पर जानते हैं इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य।

राजेश खन्ना और देव आनंद थे यश चोपड़ा की पहली पसंद:

फिल्म के निर्देशक यश चोपड़ा ने जब दीवार की कहानी सुनी, तब उन्होने शुरूआती तौर पर राजेश खन्ना को विजय के किरदार और देव आनंद को रवि के किरदार के लिए लेने का प्लान बनाया था। पर जब लेखक जोड़ी सलीम जावेद को इस बात की जानकारी हुई। तब दोनों ने फिल्म में राजेश खन्ना को लेने का पुरजोर विरोध किया और कहा कि उन्होने फिल्म की कहानी अमिताभ बच्चन को ध्यान में रखकर लिखी है। इसलिए फिल्म में विजय का किरदार अगर कोई करेगा, तो वो अमिताभ बच्चन ही करेंगे। सलीम-जावेद के इस इसरार पर यश चोपड़ा को झुकना पड़ा और उन्होने विजय के किरदार के लिए अमिताभ बच्चन को मजबूरी में लेने के लिए हामी भर दी थी। बिग बी के लिए सलीम जावेद ने इसलिए भी वकालत की थी, क्योंकि दोनों ने उनका काम जंजीर में देखा था औऱ उन्हे विजय के किरदार में जो चाहिए था। वो बिग बी में मिल गया था। जब फिल्म रिलीज हुई। तब अमिताभ बच्चन को किरदार लोगों के दिलों में इस कदर बस गया कि लोग आज भी विजय का वो किरदार नहीं भूले हैं, जो अपनी मां की गोद में अपना दम तोड़ देता है। दीवार का ये आखिरी सीन फिल्म का सबसे सशक्त सीन है। लेखक व गीतकार जावेद अख्तर ने अपने सोशल मीडिया पर इसे लेकर लिखा है कि दीवार 21 जनवरी 1975 को रिलीज हुई थी। ठीक पचास साल पहले… समय इतनी शांति और इतनी जल्दी कैसे बीत जाता है। यह हर समय हो रहा है लेकिन एक आश्चर्य बना हुआ है। हालाकि वीकीपीडिया में फिल्म की रिलीज डेट 24 जनवरी लिखा है।

वैजयंतीमाला करने वाली थी निरूपा रॉय का रोल:

दीवार हिंदी सिनेमा के थेस्पियन दिलीप कुमार की फिल्म गंगा जमुना में उनके किरादर से प्रेरित थी। फिल्म में पहले विजय व रवि की मां के किरदार के लिए वैजयंतीमाला को लिया जाना था। देव आनंद के इनकार के बाद फिल्म में रवि के किरदार के लिए नवीन निश्चल को लेने का प्लान बनाया गया। खबर तो ये भी है कि अमिताभ बच्चन से पहले फिल्म शत्रुघ्न सिन्हा को भी ऑफर की गई थी, लेकिन राजेश खन्ना, फिर देव आनंद व बाद में नवीन निश्चल के इनकार के बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने भी फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया था। इन सबसे बीच वैजयंतीमाला भी फिल्म से बाहर हो गई। इसके बाद शशि कपूर और निरूपा राय को फिल्म के लिए फाइनली साइन किया गया और इस तरह से अमिताभ बच्चन, शशि कपूर और निरूपा रॉय ने अपनी अदाकारी से सभी का दिल जीत लिया और इसके आगे एक इतिहास है।

ट्रेलर की एक गलती बन गई फैशन आइकॉन:

इस बारे में अमिताभ बच्चन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि पहले फिल्म के लिए कोई खास कॉस्टूयम वगैरह नहीं बनता था। दीवार में विजय के किरदार के जो कपड़ा दर्जी ने सिला था। वो गलती से लंबा सिल दिया था। अमिताभ बच्चन ने जब उसे पहना तो काफी लंबा था। शर्ट की लंबाई कम करने के लिए बिग बी ने उसे पैंट के नीच दबा दिया था। इसके बाद इसी अंदाज़ में फिल्म की शूटिंग की गई। फिल्म की रिलीज के बाद अमिताभ बच्चन का यही ब्लू शर्ट वाला लुक ट्रेंडिग में आ गया और फैशन आइकॉन बन गया था। तो कभी कभी ऐसा हो जाता है। अमिताभ बच्चन ने अपने एक इंटरव्यू में ये भी बताया है कि फिल्म कभी कभी की शूटिंग के दौरान उन्होने पूरी फिल्म में अपने कपड़े पहने हैं।

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