Exclusive: Remix Culture पर भड़के Singer Shahid Mallya, कहा इन्हे सिर्फ ढिकचिक ढिकचिक करना आता है

शाहिद माल्या ने रीमिक्स कल्चर को बढ़ावा देने वालों की उड़ाई धज्जिया | जानिये उन्होंने क्या कहा|

शाहिद मालया (Singer Shahid Mallya) म्यूजिक इंडस्ट्री के एक पॉपुलर आर्टिस्ट्स हैं | उन्होंने अपने करियर में कई हिट गाने दिए हैं | उनके गाने ‘इक्क कुड़ी’ (Ikk Kudi) और ‘रब्बा मैं तो मर गया होये’ (Rabba Main To Marr Gaya Oye) को लोग आज भी बेहद शौंक से सुन्ना पसंद करते हैं | हाल ही में, शाहिद ने Lehren के साथ बातचीत के दौरान देश में रीमिक्स कल्चर (Remix Culture) पर अपनी राय बताई |
जब उनसे पूछा गया की रीमिक्स बनाना आसान है या ओरिजिनल मेलोडी, तो शाहिद ने कहा, “बेशक रीमिक्स बनाना आसान है, क्यूंकि रोटी को पिज़्ज़ा बनाना आसान है लेकिन रोटी बनाना मुश्किल है| पहले रोटी बनती है, फिर आप उसके ऊपर पिज़्ज़ा स्टफ कर सकते हो |”

शाहिद ने कहा, “मेरे हिसाब से रीमिक्स उन गानों का होना चाहिए जिन गानों पर समय की परत जम गयी है, जो गाने लोगों तक नहीं पहुँच रहे हैं, जिस गाने के म्यूजिक कंपोजर, म्यूजिक डायरेक्टर, लिरिसिस्ट या सिंगर इस दुनिया में नहीं हैं | वो गाने रीमिक्स किये जाएँ तो फिर भी ठीक है | पुराने गाने एक धरोहर है , एक इमारत की तरह है, उसे ज़रूर तोड़ कर दोबारा बनाना चाहिए, पर क्रेडिट दिए जाने चाहिए जिनकी ये प्रॉपर्टी है |”


शाहिद कहते हैं, “ऐसा नहीं है की मैंने कभी रीमिक्स नहीं गया | मैंने एक-दो रीमिक्स गाये हैं, लेकिन वो ऐसे गाने हैं जो आज से 60 -70 साल पुराने गाने हैं| पर आज कल 3 -4 या 10 साल पुराने गानों के रीमिक्स हो रहे हैं | तो मुझे बस इतना ही कहना है की मान लो मेरा गाना ‘रब्बा मैं तो मर गया होये’ कोई रीमिक्स करके, किसी अलग आवाज़ में, या अलग DJ के साथ कुछ करके रिलीज़ करते हैं, तो मुझे ऐसा लगेगा की यार मैंने जिस गाने के लिए अपना पूरा जीवन दिया, मेरे माता-पिता ने जो स्ट्रगल देखा, वो गाना अभी कोई और गा के अपना नाम कमा रहा है और क्रेडिट्स भी हमे एन्ड में मिल रहे हैं , तो मन उठ जाता है की यार आज हम जो कर रहे हैं, वो कल हमारा नहीं रहेगा क्यूंकि आने वाली जनरेशन को तो यही लगेगा की ये वाला गाना फ्रेश है| उनको समझाने में 25 साल लग जायेंगे की यार ओरिजिनल तो कुछ और है| तो ये जो तरीका है, ये बहुत अजीब है|”

रीमिक्स करने वालों पर सीधा निशाना साधते हुए शाहिद ने कहा, “लोग इंस्ट्रूमेंट बजाना तो सीख जाते हैं, लेकिन उसका इस्तेमाल नयी धुनों में करना है या रीमिक्स बना के करना है, उनको समझ में नहीं आता | उन्हें बस ढिकचिक ढिकचिक करना आता है |उनको सुरों की समझ नहीं है | बहुत कम DJ ऐसे हैं जो अपना म्यूजिक क्रिएट करते हैं , जिनका आज कल बड़ा नाम भी है | लेकिन कुछ ऐसे हैं जो लूप पे काम करते हैं, इधर उधर से उठा कर, और उसको पिरो कर पेश कर देते हैं, की ये मेरा काम है | तो ये बहुत खराब चीज़ है | अब मानलो एक गाना है ‘आँख मारे’ , तो म्यूजिक कम्पनीज की शायद कोई मजबूरी होगी, पैसे काम पड़ रहे होंगे | शायद ज़्यादा पैसे चाहिए होंगे उनको इसलिए रीमिक्स करते होंगे| ‘आँख मारे’ कुमार सानु साहब का गाना है, वो देख रहे हैं टीवी पर की यार ये गाना तो मैंने गाया था, उसके लिरिसिस्ट भी ज़िंदा होंगे शायद, वो भी देख रहे हैं| अल्लाह सबको स्वास्थ दे, लम्बी उम्र दे| मैं ये कहना चाहता हूँ की आँखों के सामने अपने ही गाने का एक अलग रूप देख कर गाने के क्रिएटर के दिल पर क्या गुज़रती होगी | हम लोग कम्पनीज को राइट्स दे देते हैं, फिर कम्पनीज खेलती हैं अपने हिसाब से| मुझे लगता है की ये बहुत ही वाहियात सिचुएशन है जिसमे लोग इस तरह का काम कर रहे हैं और कुछ लोग बड़े मज़े से कर रहे हैं | अल्लाह सबको सद्बुद्धि दे| और भारत का जो संगीत है, उसको बचाये | और संगीत को संगीत ही रहने दिया जाय |”

शाहिद का हाल ही में एक नया गाना रिलीज़ हुआ है, जिसका नाम है ‘रहगुज़र’ (Rehguzar) | यह गाना नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी (Nawazuddin Siddiqui) की आने वाली फिल्म ‘बोले चूड़ियां ‘ (Bole Chudiyan) का है |

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