देश के पहले राष्ट्रपति Rajendra Prasad के कहने पर Nazir Hussain ने बनाई थी पहली भोजपुरी फिल्म

ब्रिटिश आर्मी छोड़ सुभाष चंद्र बोस की आर्मी में शामिल हो गए और देश की आज़ादी के लिए काम करने लगे। नज़ीर हुसैन लिखते अच्छे थे इसलिए सुभाष चंद्र बोस ने इन्हे प्रचार प्रसार का काम दिया था

Unknown Facts Of Actor Nazir Hussain: 15 मई 1922 में उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में जन्मे अभिनेता नज़ीर हुसैन को आज की पीढ़ी उतना नहीं जानती है। नज़ीर हुसैन के पिता रेलवे में गार्ड थे और नज़ीर हुसैन को भी रेलवे में फायरमैन की नौकरी मिल गई थी, लेकिन नज़ीर का मन यहां नहीं लगा और फिर वो ब्रिटिश आर्मी में भर्ती हो गए। नज़ीर हुसैन एकलौते ऐसे अभिनेता रहे हैं,जिन्होने द्वितीय विश्व युध्द में भाग लिया और विदेशों में कई जगहों पर तैनात रहे। देश में अंग्रेजों के प्रति बढ़े अत्याचार और गुलामी को देख इन्होने फिर ब्रिटिश आर्मी छोड़ सुभाष चंद्र बोस की आर्मी में शामिल हो गए और देश की आज़ादी के लिए काम करने लगे। नज़ीर हुसैन लिखते अच्छे थे इसलिए सुभाष चंद्र बोस ने इन्हे प्रचार प्रसार का काम दिया था।

जानकारी के मुताबिक नज़ीर को अंग्रेजों ने फांसी की सज़ा भी सुनाई थी और फांसी बस होने वाली थी कि साथियों ने नज़ीर को बचा लिया। देश की आजादी के बाद नज़ीर हुसैन के पास काम नहीं था। तो सुभाष चंद्र के भाई ने नज़ीर को शरत चंद्र बोस के पास भेज दिया, जो नाटक वगैरह का काम करते थे। नज़ीर हुसैन फिर यहां लिखने का काम करने लगे और नाटकों में अभिनय भी करने लगे। एक दिन मशहूर निर्माता निर्देशक बिमय रॉय की नजर नज़ीर पर पड़ी और फिर उन्हे पहला आदमी नाम की फिल्म में लिखने का काम दिया और यहीं से नज़ीर की किस्मत का सितारा चमकने लगा। नज़ीर ने फिल्मों में ज्यादातर चाचा,बाबा,भाई आदि का किरदार निभाया है, लेकिन नजीर हुसैन की फिल्मों में कई बड़े सितारे हुआ करते थे। जैसे 1953 में परिणीता,जीवन ज्योति,दो बीघा जमीन में रिक्शेवाले का किरदार निभाकर अपनी पहचान बनाई।

इसके बाद देवदास,बंदिश,मेरे जीवन साथी,नया दौर,मुसाफिर,साहिब बीबी और गुलाम,कश्मीर की कली जैसी फिल्मों में किरदार निभाए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1960 में एक कार्यक्रम के दौरान नज़ीर हुसैन की मुलाकात देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद से हुई। तो दोनों ने भोजपुरी में एक दूसरे से काफी बात की और बातों ही बातों में राजेंद्र बाबू ने नज़ीर को भोजपुरी भाषा में फिल्म बनाने की गुजारिश कर दी। नज़ीर ने इसे एक चैलेंज की तरह लिया और बना दिया पहली भोजपुरी फिल्म। जिसका नाम था गंगा मैइया तोहे पियरी चढ़ाइबे। 1963 में यह फिल्म रिलीज हुई। ये फिल्म हिट रही और फिर भोजपुरी फिल्मों का सिलसिला शुरू हो गया। नज़ीर हुसैन ने इसके बाद हमार संसार,बलम परदेसिया और चुटकी भर सेनुर जैसी कई शानदार फिल्में बनाई। भोजपुरी सिनेमा का इन्हे पितामह कहा जाने लगा। लेकिन अफसोस की बात ये है कि इन्हे कभी इसका सम्मान नहीं मिला।

हिंदी और भोजपुरी फिल्मों को मिलाकर करीब 500 फिल्मों में नज़ीर हुसैन ने अभिनय के साथ ही साथ लेखन व डायरेक्शन का काम किया और भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग नजीर साहब अपने गांव के आस पास ही करते थे। 1987 में फिल्म टिकुलिया चमके की शूटिंग के दौरान ही एक रात को दिल का दौरा पड़ने की वजह से नज़ीर हुसैन का मिधन हो गया।

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