Govind Namdev On Trauma After Saudagar Removal: हिंदी सिनेमा में कई फिल्मों में बतौर खलनायक अपनी पहचान बनाने वाले अभिनेता गोविंद नामदेव आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। 90 के दशक में गोविंद नामदेव ने अपने फिल्म सफर की शुरूआत फिल्म सरदार पटेल से की थी लेकिन उनकी पहली फिल्म शोला और शबनम रिलीज हुई थी। इसी दौरान गोविंद नामदेव ने फिल्म सौदागर में भी एक अहम रोल किया था। पर फिल्म में उनका रोल एडिट कर दिया गया था। जिसकी वजह से वो बहुत ही अपसेट हो गए थे।
लहरें रेट्रो से खास बातचीत में अभिनेता गोविंद नामदेव ने इस बारे में खुलकर बात की है। फिल्म सौदागर के बारे में बताते हुए गोविंद नामदेव ने कहा कि वो बहुत खुश थे कि करियर के शुरूआती दौर में उन्हे उनके आदर्श दिलीप कुमार और राजकुमार जैसे अभिनेताओं के साथ काम करने का मौका मिला था। उन्होने बहुत ही उत्साह के साथ फिल्म की शूटिंग की और सभी लोगों को बता दिया कि वो दिलीप कुमार और राज कुमार के साथ काम कर रहे हैं। फिल्म की शूटिंग पूरी हो गई। अभिनेता ने बताया कि उनका रोल अनुपम खेर के साथ फिल्म में बराबर चलता है। वो एक आतंकवादी के रोल में थे। जो बच्चों को हिंसा के लिए उकसाता है।
अभिनेता ने आगे कहा कि फिल्म के क्लाइमैक्स के सीन में वो एक नदी के पुल पर जाते हैं और अपना बंदूक फेंक देते हैं। इसके साथ ही फिल्म खत्म हो जाती है। पर डबिंग के वक्त जब गोविंद नामदेव को नहीं बुलाया गया। तो वो सब गए कि कुछ गड़बड़ जरूर है। उन्हे बताया गया कि फिल्म साढ़े चार घंटे की बन गई है। फिर उनका रोल छोटा करते करते फिल्म से हटा ही दिया। फिल्म निर्देशक सुभाष घई से किसी ने कहा कि ये रोल ही हटा दो। तो फिर उन्होने हमारा रोल ही हटा दिया। इससे हमको बहुत दुख हुआ और गोविंद नामदेव फिर सदमे का शिकार हो गए। दो महीने तक गोविंद नामदेव इसी सदमे में थे कि दिलीप कुमार और राजकुमार के साथ परदे पर आने का सपना उनका साकार नहीं हो सका।
लहरें रेट्रों से आगे बातचीत में अभिनेता के कहा कि उन्होने कुछ लोगों को ब्लैकलिस्ट में डाला है। जिसके साथ उनकी कोई बातचीत या व्यवहार नहीं रहता है। हालाकि गोविंद ने सीधे तौर पर सुभाष घई का नाम नहीं लिया लेकिन दबी जुबान से स्वीकार किया कि उन्होने फिर कभी ना तो उनके साथ बातचीत की और न ही कभी किसी फिल्म में काम किया। गोविंद इतना जरूर कहा कि यदि उस दौरान उन्हे किसी और फिल्म में कास्ट कर लिया गया होता, तो इतना दुख ना होता जितना कि सुभाष घई के द्वारा उनका पूरा रोल कट करने से हुआ था।