Aamir Khan की Sarfarosh में Naseeruddin Shah के शायर गुलफाम बनने के पीछे की ये है कहानी, पहले मिला था दूसरा रोल

बात जब आमिर खान की हो रही है, तो उनकी साल 1999 में रिलीज हुए फिल्म सरफरोश के बनने के पीछे की रोचक कहानी को जान लेते हैं। जिसका खुलासा फिल्म के प्रोड्यूसर डायरेक्टर जॉन मैथ्यू ने अपने एक इंटरव्यू में किया था

Aamir Khan’s Sarfarosh Interesting Story: बॉलीवुड में मिस्टर परफेक्टनिस्ट के नाम से मशहूर आमिर खान इन दिनों अपनी फिल्म गजनी के सीक्वेल को लेकर चर्चा में हैं। हालाकि इसे लेकर अभी तक कोई भी आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है। सब कुछ अभी अपने शुरूवाती दौर में है। बस कहानी के प्लाॉट को लेकर लेखक वगैरह से मुलाकात चल रही है। आमिर खान ने फिल्म लाल सिंह चढ्ढा के बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप होने के बाद से ही ब्रेक पर हैं, पर उम्मीद है कि वो जल्द ही सिनेमा की चकाचौंध में वापसी करेंगे। बात जब आमिर खान की हो रही है, तो उनकी साल 1999 में रिलीज हुए फिल्म सरफरोश के बनने के पीछे की रोचक कहानी को जान लेते हैं। जिसका खुलासा फिल्म के प्रोड्यूसर डायरेक्टर जॉन मैथ्यू ने अपने एक इंटरव्यू में किया था।

वैसे तो डायरेक्टर जॉन मैथ्यू ने उस वक्त कोई बड़ी फिल्म नहीं बनाई थी। वो कुछ विज्ञापन वगैरह बनाते थे। जॉन के मुताबिक वो जब एक काम के सिलसिले में दिल्ली गए थे, तब देखा कि किसी आंदोलन की वजह से दिल्ली बंद है। हर आने जाने वालों की तलाशी ली जा रही है। दिल्ली का ये सीन देखकर जब उन्होने पता किया तो मालुम हुआ कि खालिस्तान को लेकर कई आंदोलन चल रहा है। यहीं जॉन को एक फिल्म का आइडिया आया। मुंबई आने के बाद जॉन ने कहानी को नैरेट किया और आमिर खान के पास पहुच गए। आमिर खान ने फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ते ही हां कह दी। फिर धीरे धीरे दूसरे किरदारों का चयन हुआ।

सोनाली बेंद्रे तो जॉन मैथ्यू का विज्ञापन वगैरह किया करती थी। तो जॉन ने उन्हे लीड एक्ट्रेस के तौर पर साइन किया और नसीरूद्दीन शाह को इंस्पेक्टर सलीम के किरदार के लिए साइन किया गया। नसीरूद्दीन शाह ने जब पूरी स्क्रिप्ट पढ़ी तो उन्हे पाकिस्तानी बेस गजल सिंगर शायर गुलफाम हसन का किरदार बहुत दमदार लगा। नसीर ने फिर जॉन से गुलफाम का किरदार करने की गुजारिश की। तो जॉन मान गए और इंस्पेक्टर सलीम के लिए फिर मुकेश ऋषि की एंट्री हुई। सभी किरदारों ने अपने अपने अभिनय से सभी का दिल जीत लिया। कहानी,गीत, संगीत हर लिहाज से ये फिल्म हिट साबित हुई।

जॉन मैथ्यू के मुताबिक उनके पास बजट बहुत ही सीमित था। इसलिए कम किरादारों और तमाम तामझाम को कम करके इस फिल्म की शूटिंग की गई। कहते तो ये भी हैं कि इस फिल्म के लिए कोई कस्ट्यूम डिजाइनर को भी नहीं रखा गया था। खुद आमिर खान अपने दर्जी के यहां से सिले कपड़े फिल्म में पहने हैं। फिल्म का क्लाइमैक्स ऐसी हवेली में शूट किया गया, जो कई दशकों से बंद थी। उसे ही फिल्म में गुलफाम का पुश्तैनी हवेली दिखाया गया है।

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