सदाबहार अभिनेता Dev Anand को लिखे प्रेम पत्र में इस नाम से बुलाती थी Suraiya

हिंदी सिनेमा के सदाबहार हीरो देव आनंद और सुरैया की प्रेम कहानी किसी से छुपी नहीं है। दोनों एक दूसरे से बे-इंतिहा प्यार करते थे। दोनों अपने लिखे खतों में एक दूसरे को कोड नेम के जरिए बुलाते थे

Dev Anand Suraiya Love Story: हिंदी सिनेमा में कुछ मशहूर प्रेम कहानियों में एक प्रेम कहानी हिंदी सिनेमा के सदाबहार हीरो देव आनंद और सुरो की रानी सुरैया की भी है। जो अपने अंजाम पर पहुंचने से पहले ही खत्म हो गई थी। इस प्रेम कहानी के खत्म होने की मुख्य वजह दोनों का अलग मजहब था। इन दोनों के प्रेम के बीच में मजहब ने ऐसी दीवार खड़ी कर दी जो ढह ना सकीऔर लाख समझाने के बावजूद सुरैया अपने परिवार वालों के खिलाफ नहीं जा पाई।

वैसे इन दोनों की मोहब्बत फिल्म विद्या के सेट पर शुरू हुई थी, जब देव आनंद ने अपनी जान पर खेल कर नदी में डूबने से सुरैया को बचाया था। पर खत्म हुई थी एक थप्पड़ से जो देव आनंद ने सुरैया को ना कहने पर मारा था। लेकिन क्या आप जानते हैं। ये दोनों एक दूसरे को क्या कहकर बुलाया करते थे । दरअसल देव आनंद और सुरैया के प्रेम के खतों को देखकर इनके उपनामों का खुलासा आपको हो जाएगा। जिसका खुलासा हम नहीं बल्कि खुद देव साहब ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में किया था।

जिनमें उन खतों के कुछ अंशों का जिक्र था। जैसे कि ‘नोजी चलो जल्दी से शादी कर लेते हैं, हमारी जोड़ी सबके लिए एक मिसाल होगी । हम खुशियों से भरा एक ऐसा घर बनाएंगे, जिसे देखकर पूरी दुनिया हमसे जल उठेगी’। दूसरी ओर से जवाब था कि हां, “स्टीव हमारा प्यार अमर है। हम अपनी अलग दुनिया जरूर बसाएंगे”। तो देखा आपने सुरैया देव आनंद को स्टीव और देव सुरैया को नोजी कहकर इस खत में संबोधित किया था।

इन दोनों के बीच इतना प्यार होते हुए भी सुरैया की नानी ने दोनों को एक नहीं होने दिया और इस तरह विद्या से शुरू हुई इस प्रेम कहानी का अंत टैक्सी ड्राइवर फिल्म के पहले हो गया जब देव साहब को इस फिल्म के लिए एक नई लड़की मिली थी कल्पना कार्तिक। जिससे बाद में देव साहब ने शादी कर अपनी दूनियां अलग बसा ली थी। उधर सुरैया ने बगैर शादी के ही सारी जिंदगी गुजार दी थी।

वैसे क्या आप जानते हैं कि सुरैया अपने जमाने की सबसे मशहूर व महंगी कलाकारों में एक थी। क्योंकि सुरैया के पास अभिनय और गायकी दोनों का हुनर था और उस जमाने में एक सफल अभिनेत्री होने के लिए ये जरूरी भी था। फिल्मों में शुरूआती दौर में काम उसी को मिलता था जो अभिनय के साथ ही साथ गाना भी गा ले और इस हुनर में सुरैया, नूर जहां यहां तक कि लता मंगेशकर भी काफी माहिर थी। लता जी ने भी अपनी कई शुरूआती फिल्मों में अभियन किया है।

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