68th Filmfare Awards में हिस्सा नहीं लेंगे Vivek Ranjan Agnihotri, बोले यह अवॉर्ड्स सही व्यक्ति को सम्मान नहीं देते हैं

‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने 68वें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में जाने से मना कर दिया है।

Vivek Ranjan Agnihotri 68th Filmfare Awards: विवेक रंजन अग्निहोत्री जिनकी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को फिल्मफेयर अवॉर्ड्स 2023 में सात कैटेगरी में नोमिनेट किया गया है। लेकिन इस फिल्म के डायरेक्टर ने इस पुरस्कार समारोह में हिस्सा लेने से मना कर दिया है। उन्होंने फिल्मफेयर अवॉर्ड को महत्वहीन वाला अवॉर्ड बता दिया है। 

विवेक ने आज ही अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस बात की जानकारी देते हुए लिखा कि, ‘’घोषणा:फिल्मफेयर अवार्ड्स,  मुझे मीडिया से पता चला कि #TheKashmirFiles को 68वें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स के लिए 7 कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया है। लेकिन मैं विनम्रतापूर्वक इन अनैतिक और सिनेमा विरोधी पुरस्कारों का हिस्सा बनने से इनकार करता हूं।’’

विवेक ने आगे अपने इस ट्विट में लिखा कि, :’’मैं हिस्सा इसलिए नहीं बनना चाहता, क्योंकि फिल्मफेयर के मुताबिक स्टार्स के अलावा किसी का कोई चेहरा नहीं है। कोई मायने नहीं रखता। इसलिए फिल्मफेयर की चापलूस और अनैतिक दुनिया में संजय भंसाली या सूरज बड़जात्या जैसे मास्टर निर्देशकों  की कोई गरिमा नहीं है।  संजय भंसाली  को आलिया  भट्ट की तरह दिखया जाता हैं, सूरज  को मिस्टर बच्चन की तरह और अनीस बज्मी को कार्तिक आर्यन की तरह। ऐसा नहीं है कि एक फिल्म निर्माता की गरिमा फिल्मफेयर पुरस्कारों से आती है लेकिन इस अपमानजनक व्यवस्था को समाप्त होना चाहिए।’’

इसके अलावा उन्होंने अपने ट्विट में लिखा कि, ‘’इसलिए, बॉलीवुड के एक भ्रष्ट, अनैतिक और चापलूस संस्थान के खिलाफ मेरे विरोध और असहमति के रूप में, मैंने ऐसे पुरस्कारों को स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है। मैं किसी भी दमनकारी और भ्रष्ट प्रणाली या पुरस्कारों का हिस्सा बनने से इनकार करता हूं जो लेखकों, निर्देशकों और फिल्म के अन्य एचओडी और क्रू के सदस्यों को सितारों के नीचे और/या गुलामों के रूप में मानते हैं।’’

अंत में विवेक ने अपने ट्विट में लिखा कि, ‘’जीतने वाले सभी लोगों को मेरी बधाई और जो नहीं जीत पाए उन्हें भी। अच्छी बात  यह है कि मैं अकेला नहीं हूँ। धीरे-धीरे लेकिन लगातार, एक समानांतर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री  उभर रही है। तब तक…सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए। मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।- दुष्यंत कुमार ।’’ 

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