Manoj Bajpayee ने बताया कि अब सिनेमा में हीरो की परिभाषा क्या है और उन्हें डांस करने से डर क्यों लगता है?

मनोज बाजपेयी ने बताया है कि अब सिनेमा में हीरो की परिभाषा बदल गई है, अब एक्टर के कैरेक्टर पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है।

Manoj Bajpayee on definition of a hero in cinema now: बॉलीवुड के प्रतिभाशाली अभिनेता मनोज बाजपेयी जोकि इन दिनों अपनी फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा  काफी है’ को लेकर खबरों में बने हुए है। मजोज इस फिल्म में एक वकील का किरदार निभा रहे हैं। यह फिल्म असल घटना पर आधारित है। मनोज जोकि बॉलीवुड में कई सालों से रियलिस्टिक किरदारों को निभाते हुए आ रहे हैं। उन्होंने सत्या, शूल और गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्मों में काफी रियल कैरेक्टर निभाए हैं। 

इसी बीच मनोज ने बताया कि अब बॉलीवुड के सिनेमा में हीरो की  परिभाषा क्या है। मनोज ने द इंडियन एक्सप्रेस बातचीत करते हुए बताया कि, ‘’जब वे फिल्म इंडस्ट्री में आए थे, तब रियलिस्टिक कैरेक्टर को लेकर फिल्में नहीं बनती थी। लेकिन जब राम गोपाला वर्मा जैसे निर्देशक फिल्म इंडस्ट्री में आए, तो उन्होंने बॉलीवुड में रियलिस्टिक सिनेमा पर फिल्में बनाना शुरू कर दीं।’’ मनोज ने कहा कि उनकी फिल्म सत्या के बाद से बॉलीवुड में कई बदलाव आए और फिर फिल्मों के हीरो को रियल दिखाए जाना लगा है। 

इसी पर बातचीत करते हुए मनोज ने कहा कि, ‘’अब सिनेमा में बहुत बदलाव आ गया है। अब एक फिल्म में हीरो के कैरेक्टर को बहुत रियल दिखाया जाता है। अब हीरो को हीरो की तरह  नहीं बल्कि एक कैरेक्टर की तरह पेश किया जाता है। यह चीज अब आने वाले समय में और भी बढ़ेगी, अब एक्टर भी फिल्मों में अपने कैरेक्टर को देखते हैं।’’

इसके अलावा मनोज ने बताया कि उन्हें डांस करना क्यों पसंद नहीं है। मनोज ने बताया कि एक बार उन्होंंने एक अवॉर्ड शो में डांस किया था। लेकिन डांस करते-करते हैं वे काफी थक गए और उनकी सांस फूलने लगी, इसके बाद जब ऋतिक रोशन मंच पर डांस करने पहुंचे, तो मनोज वहां से चल दिए। मनोज ने कहा कि ऋतिक के आते उन्होंने मंच छोड़ दिया। मनोज ने कहा कि, ‘’डांस करना मेरे बस की बात नहीं है और अब मैं डांस सीखना भी नहीं चाहता हूं।’’

ये भी पढ़ें: जब Sunny Deol ने असलियत में इस बात को लेकर गुंडों की बुरी तरह से पिटाई कर दी थी

ताज़ा ख़बरें